पोप ने देखा युद्ध में बर्बाद इराक का शहर मोसुल, आइएस के हाथों मारे गए लोगों के लिए की प्रार्थना
सुरक्षा कारणों से पोप यहां पर सीधे हैलीकॉप्टर से पहुंचे। उनका मुस्लिमों और ईसाइयों ने स्वागत किया। बाद में पोप ने यहां खंडहर में तब्दील हो चुके चर्च और घरों को भी देखा। लोगों ने अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तान भी सुनाई।
मोसुल, एजेंसियां। वेटिकन सिटी के पोप फ्रांसिस ने इराक में अपनी यात्रा के दौरान इस्लामिक (आईएस) स्टेट से युद्ध में बर्बाद हुए शहर मोसुल की यात्रा की। मोसुल वो शहर है, जो आइएस के कब्जे से मुश्किल से मुक्त हुआ। यहां हर तरफ तबाही का मंजर है, लाखों लोग जान बचाने के लिए पलायन कर गए हैं। पोप का मकसद यहां लोगों के जख्मों पर मरहम लगाना था।
पोप को लोगों ने अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तान भी सुनाई
सुरक्षा कारणों से पोप यहां पर सीधे हैलीकॉप्टर से पहुंचे। उनका मुस्लिमों और ईसाइयों ने स्वागत किया। बाद में पोप ने यहां खंडहर में तब्दील हो चुके चर्च और घरों को भी देखा। लोगों ने अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तान भी सुनाई। कुछ तो अपनी कहानी सुनाते हुए रो पड़े। पोप ने यहां युद्ध में मरने वाले लोगों के लिए प्रार्थना भी की।
मोसुल पर आइएस का 2014 से 17 तक कब्जा रहा। इससे पहले उसे मस्जिदों और चर्चो का शहर कहा जाता था। आइएस ने 2017 में इन सभी को नष्ट करके खंडहर में तब्दील कर दिया।
आइएस के हमले से पहले चार मोसुल में चार सौ ईसाई परिवार रहते थे
इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल में पोप के लिए सिटी स्क्वायर में स्टेज तैयार की हुई थी, उसके चारों तरफ खंडहर दिखाई दे रहे थे। यहां शहर के एक मात्र पादरी रैड कैलो ने लोगों पर हुए अत्याचार की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आइएस के हमले से पहले यहां चार सौ ईसाई परिवार रहते थे। अब केवल सत्तर परिवार ही बचे हैं। उन्होंने मुस्लिमों के कार्यक्रम में भी भाग लिया।
पोप यहां से कुछ दूर स्थित काराकोश के चर्च में गए और प्रार्थना की। करीब छह सौ लोग प्रार्थना में शामिल हुए। पोप को खुली गाड़ी में ले जाया गया था, रास्ते में सैकड़ों लोग उनके स्वागत के लिए खड़े हुए थे।