वर्षों से भारतीयों की पहली पसंद रहा है यूएई, करोड़ों प्रवासियों पर टिकी है खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था
खाड़ी देशों में भारत समेत पाकिस्तान बांग्लादेश चीन फिलीपींस अफ्रीकी देशों में करोड़ों की संख्या में मजदूर रहते हैं। इन देशों की आर्थिक नींव की मजबूती भी इन पर ही टिकी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। खाड़ी देशों में भारतीयों की सबसे पहली पसंद यूएई रहा है। यहां पर इस देश की कुल आबादी का करीब 27 फीसद भारतीय हैं, जो यहां पर दी जाने वाली विभिन्न सेवाओं से जुड़े हैं। इसकी एक वजह दोनों देशों के आपसी रिश्ते भी हैं जिसकी वजह से भारतीय यहां पर रहना और आजीविका कमाना पसंद करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक करीब एक करोड़ भारतीय खाड़ी क्षेत्रों में रहकर अपनी आजीविका कमाते हैं। केरल माइग्रेशन सर्वे-2018 की रिपोर्ट के मुताबिक अकेले इसी राज्य से करीब 20 लाख लोग सऊदी अरब, यूएई, कतर, बहरीन, ओमान और कुवैत में रहते हैं। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक वर्ष 2018 के दौरान ही खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीयों ने करीब 80 बिलियन डॉलर की राशि भारत भेजी थी।
जीसीसी के मुताबिक सऊदी अरब करीब एक करोड़ विदेशियों का घर है तो वहीं, ओमान, बहरीन और कुवैत में दो तिहाई और यूएई में कुल आधी आबादी से भी अधिक विदेशी हैं जो विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हैं। इस पूरे क्षेत्र में करीब 30 फीसद पाकिस्तानी और भारतीय हैं। यहां पर भारतीयों की संख्या का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हाल ही में कोरोना वायरस के मद्देनजर भारत सरकार ने जब यहां से अपने लोगों को स्वदेश वापस लाने का फैसला किया तो सिविल एविएशन की वेब साइट क्रेश कर गई थी। हवाई माग से जाने के लिए करीब 15 हजार और समुद्री मार्ग से जाने के लिए करीब 2 लाख लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था।
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2018 में खाड़ी देशों से 78 बिलियन डॉलर भारत भेजे गए थे। यहां पर बसे 3 करोड़ विदेशियों में से 80 लाख केवल भारतीय ही हैं। खाड़ी देशों में भारतीयों की इतनी बड़ी संख्या के बाबत जानकार मानते हैं कि 4 अरब भारतीयों को देश में ही नौकरियां उपलब्ध करवाना लगभग नामुमकिन है। इसलिए भारतीयों की एक बड़ी संख्या दुनिया के अमीर देशों में जिनमें खाड़ी देश भी शामिल हैं, की तरफ कूच कर जाती है।
खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से विदेशी मजदूरों और तेल पर टिकी हुई है। लेकिन सऊदी अरब समेत अब कुछ दूसरे खाड़ी देश अपनी अर्थव्यवस्था को केवल तेल पर ही केंद्रित नहीं रहने देना चाहते। सऊदी अरब ने इसकी शुरुआत कर दी है और धीरे-धीरे वह दूसरे क्षेत्रों में बड़े निवेश को तरजीह दे रहा है। यूं भी कोरोना के संकट की वजह से तेल पर आधारित खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था इस वक्त बुरी तरह से चरमरा गई है। बीते दिनों में कच्चे तेल के भाव इतने गिर गए थे कि कई तेल कंपनियों के दिवालिया होने की नौबत आ गई।
यही वजह थी कि इनसे जुड़े लोग लाखों की संख्या में बेरोजगार भी हुए। यही वजह है कि खाड़ी के देशों को सिर्फ एक ही चीज पर टिके रहना अब रास नहीं आ रहा है। इसलिए वह अब इससे शिफ्ट होना चाहते हैं। कुछ देश अब विदेशी मजदूरों से भी खुद को दूर कर लेना चाहते हैं। इसके साथ ही ये देश अपने नागरिकों को उसके लिए अभी से तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए इन्हें कई तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है।
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