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दिवालिया होने की ओर लेबनान..! सैनिकों को भोजन नहीं दे रही सरकार, विदेश मंत्री का इस्‍तीफा

लेबनान दिवालिया होने की कगार पर जा पहुंचा है। सेना अपने सैनिकों को भोजन तक मुहैया नहीं करा पा रही है। लेबनान के विदेश मंत्री नसीफ हित्ती ने पद से इस्तीफा दे दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 05:44 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 02:36 AM (IST)
दिवालिया होने की ओर लेबनान..! सैनिकों को भोजन नहीं दे रही सरकार, विदेश मंत्री का इस्‍तीफा
दिवालिया होने की ओर लेबनान..! सैनिकों को भोजन नहीं दे रही सरकार, विदेश मंत्री का इस्‍तीफा

बेरूत, एपी। क्‍या लेबनान दिवालिया होने की कगार पर जा पहुंचा है। लेबनान में 20 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। सड़कों पर कूड़े के ढेर नजर आ रहे हैं। सेना अपने सैनिकों को भोजन तक मुहैया नहीं करा पा रही है। मियाद खत्म हो चुके खाने के सामान बेचे जा रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों को काम से निकाला जा रहा है। अस्पतालों के बंद होने का खतरा है। दुकानें और रेस्तरां बंद हो रहे हैं। अपराध में भारी बढ़ोतरी जैसे संकटों को देख विशेषज्ञों का यही मानना है कि यह देश अब दिवालिया होने जा रहा है। इस आर्थिक संकट के बीच लेबनान के विदेश मंत्री नसीफ हित्ती ने पद से इस्तीफा दे दिया है।

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देश में उच्च महंगाई दर और तेजी से बढ़ती गरीबी के बीच कोरोना महामारी ने आर्थिक संकट को और बढ़ा दिया है। लेबनान में संस्थानों के खंडित होने का खतरा है। आलम यह है कि अराजकता फैलने का खतरा है। वैसे भी लेबनान हमेशा से ईरान और सऊदी अरब के वर्चस्व की लड़ाई का शिकार बनता रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा संकट लेबनान के भीतर से ही पैदा हुआ है। दशकों से भ्रष्ट और लालची राजनीतिक वर्ग की वजह से पैदा हुए हालात की चोट अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर पड़ी।

विदेशी मुद्रा की कमी की वजह से लेबनानी पाउंड का मूल्य ब्लैक मार्केट में 80 फीसद तक गिर गया है। जरूरी सामानों और खाने पीने के पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में अमेरिकी उपराष्ट्रपति के मध्य एशिया और अफ्रीका मामलों की सलाहकार मोना याकोउबियान ने एक लेख में कहा है कि यदि लेबनान का पतन हुआ तो यूरोप में शरणार्थियों के आने का संकट और बढ़ जाएगा। क्षेत्र में जो अस्थिरता पैदा होगी उसका नकारात्मक असर अमेरिका और उसके सहयोगियों पर भी पड़ेगा। सीरिया और इराक के बाद यह तीसरा बड़ा संकट होगा। 


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