पांचवीं बार इजरायल के प्रधानमंत्री बनने की राह पर नेतन्याहू
बेंजामिन नेतन्याहू पांचवीं बार इजरायल के प्रधानमंत्री बनने की राह पर हैं।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, बेरुत। बेंजामिन नेतन्याहू पांचवीं बार इजरायल के प्रधानमंत्री बनने की राह पर हैं। आम चुनाव में नेतन्याहू की इस जीत से अरब जगत का स्वतंत्र फलस्तीन राष्ट्र का सपना धूमिल होता दिख रहा है।
अपने प्रचार अभियान के दौरान नेतन्याहू ने दक्षिणपंथी मतदाताओं को भरोसा दिया था कि यदि वह जीते तो अरब पड़ोसियों के साथ लंबित मुद्दों पर लंबे समय से अटकी वार्ता शुरू करेंगे। ट्रंप प्रशासन के साथ करीबी संबंधों के चलते वह पहले ही अमेरिका को यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने और गोलान पहाडि़यों पर उसकी संप्रभुता स्वीकार करने के लिए राजी कर चुके हैं। मतदान से ठीक पहले उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह जीते तो वेस्ट बैंक के कुछ हिस्से को इजरायली भूभाग में मिला लेंगे। चुनाव में उनकी यह रणनीति काम कर गई।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एक राजनीतिक विश्लेषक अब्दुल खालिक अब्दुल्ला कहते हैं, 'नेतन्याहू की इस जीत ने किसी शांति समझौते और फलस्तीनियों के स्वतंत्र राष्ट्र की संभावनाओं को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अरब राष्ट्रों की हालत कमजोर है। फलस्तीनी भी पहले की तरह एकजुट नहीं हैं। दूसरी ओर, इजरायल पहले से ज्यादा मजबूत है और उसे अमेरिका का भी पूरा समर्थन है। इसलिए इजरायल अब जो चाहे कर सकता है।'
अरब देशों के नेता फलस्तीन का समर्थन करने के बजाय अपनी सत्ता बचाए रखने में ही ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सऊदी अरब और यूएई जैसे खाड़ी देश तो इजरायल से अपने संबंध बढ़ा रहे हैं। अपने साझा दुश्मन ईरान से मुकाबले के लिए भी उन्हें इजरायल ज्यादा मुफीद लग रहा है। आतंकी संगठन आइएस से लंबे संघर्ष के चलते सीरिया और इराक की हालत बेहद कमजोर है। ऐसे में स्वतंत्र फलस्तीन राष्ट्र का विचार फिलहाल ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है।