अमेरिका से जारी तनातनी के बीच ईरान ने ओमान की खाड़ी में किया क्रूज मिसाइल का परीक्षण
अमेरिका के साथ जारी सामरिक तनातनी के बीच ईरान की नौसेना ने युद्धाभ्यास के दौरान क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया है। यह परीक्षण ओमान की खाड़ी में किए गए।
तेहरान, एपी। ईरान की नौसेना ने युद्धाभ्यास के दौरान क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया है। गुरुवार को ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी इरना की एक रिपोर्ट में बताया गया कि यह परीक्षण ओमान की खाड़ी में किए गए। परीक्षण को सफल बताते हुए कहा गया है कि मिसाइल ने 280 किलोमीटर दूर लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाया। पिछले महीने एक ऐसे ही युद्धाभ्यास के दौरान हुई चूक में ईरान ने अपने ही एक नौसैनिक पोत को मिसाइल से उड़ा दिया था। घटना में ईरान के 19 नौसैनिक मारे गए थे और 15 अन्य घायल हो गए थे। यह हादसा होर्मुज जलडमरूमध्य (स्ट्रेट) के पास हुआ था।
ईरानी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि तट से समुद्र और समुद्र से समुद्र में मार करने वाली मिसाइलों को तटीय लॉन्चर और नौसैनिक जहाज से दागा गया। क्रूज मिसाइल ने बड़ी सटीकता के साथ लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदा। ईरान द्वारा ये युद्धाभ्यास अमेरिका के साथ जारी सामरिक तनातनी के बीच किए जा रहे हैं। फारस की खाड़ी में अपने जंगी बेड़े के साथ मौजूद अमेरिका ने अप्रैल में ईरान को चेतावनी दी थी कि वह खतरनाक हरकतों से बाज आए।
गौरतलब है कि ईरानी जनरल की इस साल जनवरी में अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक में मौत हो गई थी। इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए थे। अमेरिका ने अभी कल ही सीरिया पर अभी तक के सबसे बड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। कहा जा रहा है कि इन प्रतिबंधों के चलते सीरिया की राजस्व उगाही में भारी कमी आएगी और राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा। अमेरिका का कहना है कि उसका मकसद सीरिया में दस साल से जारी गृह युद्ध को खत्म कराना है। इस मामले में भी ईरान ने अमेरिका पर हमला बोला है।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के सीरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा करते हुए कहा है कि वह अरब देशों के साथ आर्थिक संबंध जारी रखेगा। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसवी ने एक बयान में कहा कि सीरिया के खिलाफ अमेरिका के नए प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय सिद्धांतों का उल्लंघन हैं। बता दें कि सीरिया में अमेरिका के समर्थन वाले विद्रोही असद को सत्ता से हटाने के लिए दस साल से संघर्ष छेड़े हुए हैं और उन्होंने देश के बड़ी भूभाग पर कब्जा भी कर रखा है जबकि असद को रूसी सेनाओं का समर्थन हासिल है।