जानिए- क्यों बौखलाया हुआ है ईरान और यूएई को बता रहा है धोखेबाज, क्या कहते हैं एक्सपर्ट
यूएई और इजरायल के समझौते के बाद से ही ईरान की बौखलाहट सामने आ रही है। अब अयातुल्लाह खमेनी ने कहा है कि इस धोखेबाजी की कीमत उन्हें चुकानी होगी।
दुबई (ऑनलाइन डेस्क/एजेंसियां)। संयुक्त अरब अमीरात और इजरायल के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते के बाद ईरान बुरी तरह से तिलमिलाया हुआ है। रॉयटर्स के मुताबिक, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने इसको इस्लामिक देशों के साथ हुआ बड़ा धोखा करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इजरायल से समझौता करते हुए यूएई फिलीस्तीन को भूल गया। उनहोंने ये भी कहा कि यूएई की ये धोखेबाजी लंबे समय तक नहीं चलेगी, लेकिन इस धोखे को हमेशा याद रखा जाएगा। खुमैनी ने कहा कि इस समझौते को कर यूएई ने इस क्षेत्र में जियोनिस्ट शासन को आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि अमीरात कभी विश्वास के काबिल नहीं रहा है, लेकिन उन्हें जल्द ही अपनी गलती का अहसास हो जाएगा और इसकी उन्हें कीमत भी चुकानी पड़ेगी। इसके बाद ही उन्हें इस बात का अंदाजा होगा कि उन्होंने क्या पाया और क्या खोया है।
गौरतलब है कि तेहरान और इजरायल के रिश्ते वर्षों से काफी खराब रहे हैं। इसकी वजह इस क्षेत्र पर इजरायल का शासन रहा है। इसको उखाड़ फेंकने में कभी ईरान ने बड़ी भूमिका अदा की थी। रॉयटर्स के मुताबिक वर्तमान में यूएई और इजरायल के बीच जो समझौता बीते माह 13 अगस्त को हुआ है उसको लेकर कुछ जानकार मानते हैं कि ये समझौता इस क्षेत्र के लिए एक नया खतरा भी पैदा कर सकता है। वहीं, दोनों देश इस समझौते को अपने लिए बेहतर बता रहे हैं। दोनों देशों का मानना है कि इससे उन्हें आर्थिक मजबूती हासिल होगी। जेएनयू के प्रोफेसर एके पाशा की मानें तो ये समझौता इस क्षेत्र में नए समीकरणों और राजनीति को जन्म देगा। उनके मुताबिक आने वाले समय में ऐसे ही कुछ और समझौते इस क्षेत्र के दूसरे देशों के साथ भी हो सकते हैं। वो मानते हैं कि यूएई और इजरायल के बीच हुए समझौते के पीछे इन देशों का ईरान से खतरा है। ईरान इस पूरे क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाहता है और परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाना चाहता है। वहीं यूएई और इजरायल समेत क्षेत्र के दूसरे देश इसके खिलाफ हैं।
उनके मुताबिक, अरब जगत में धीरे-धीरे इजरायल को लेकर बंदिशें टूटती दिखाई दे रही हैं। इन देशों को लगता है कि अमेरिका की ही तरह इजरायल ईरान समेत दूसरे खतरों से उनको बचा सकता है। ऐसे में ये देश इजरायल की तरफ वर्षों पुरानी जंजीरों को तोड़ने की दिशा में आगे जा रहे हैं। यूएई की इजरायल से कभी कोई दुश्मनी नहीं रही है और न ही उसने कभी अपनी सेना को उसके खिलाफ मैदान में उतारा है। इसके उलट बीते पांच वर्षों में इन दोनों ने विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ कदम आगे बढ़ाए हैं। ये समझौता उन कदमों का ही परिणाम है।
इस बीच एएफपी के मुताबिक, फिलीस्तीन के संगठन हमास ने भी इजरायल के प्रति कुछ नरमी दिखाने के संकेत दे दिए हैं। माना जा रहा है कि इन दोनों के बीच भी कोई समझौता हो सकता है। हमास की ये नरमी इजरायल द्वारा फिलीस्तीन में नरमी बरते जाने के बयान के बाद सामने आई है। इजरायल की तरफ से कहा गया है कि वह फिलीस्तीन के सीमावर्ती इलाकों में लगाई गई पाबंदियों पर नरमी बरतने के लिए तैयार है। एजेंसी के मुताबिक, इन दोनों को बातचीत की मेज पर लाने में कतर ने मुख्य भूमिका अदा की है। आपको बता दें कि हमास एक सशस्त्र आतंकी संगठन है जिसका गाजा पर नियंत्रण है। इस सीमावर्ती इलाके में इजरायल और हमास के बीच आए दिन झड़प होते रहते हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, इजरायल ने इस इलाके में नरमी बरते जाने के साथ यहां पर मछली पकड़ने और तेल और बिजली की सप्लाई को भी सुचारू करने की बात कही है।