चाबहार बंदरगाह पर भारत-ईरान फिलहाल मिलकर कर रहे काम, अफगानी मेवों की खेप चीन रवाना
अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते देरी का शिकार हुए चाबहार के शहीद बेहश्ती बंदरगाह से अफगानी मेवों की पहली खेप चीन के लिए रवाना हुई।
तेहरान, आइएएएनएस। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते देरी का शिकार हुए चाबहार के शहीद बेहश्ती बंदरगाह से अफगानी मेवों की पहली खेप रविवार को चीन के लिए रवाना हुई। यह खेप भारत के मुंदरा पोर्ट पर पहुंचेगी फिर वहां से दूसरे जहाज के जरिए चीन के तियानजिन पोर्ट के लिए रवाना होगी। चीन को यह खेप भेजने में दोनों देशों ने मिलकर काम किया है।
दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार
ईरानी मीडिया ने सिस्तान-बलूचिस्तान के पोर्ट्स और मैरीटाइम विभाग के महानिदेशक बहरूज आगाहेई के हवाले से बताया कि ऐसे समय में जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है तब चाबहार के शहीद बेहश्ती पोर्ट ने मध्य एशिया के देशों को दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार का मौका उपलब्ध कराया है। पिछले एक माह में अफगानिस्तान ने शहीद बेहश्ती पोर्ट से भारत को तीन खेपें भेजी हैं।
चाबहार बंदरगाह: पाक को दरकिनार कर भारत मध्य एशिया से माल मंगा सकता है
उल्लेखनीय है भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास में 50 करोड़ डालर का निवेश किया है। इस बंदरगाह के जरिए पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत मध्य एशिया के देशों से माल मंगा सकता है या उन्हें भेज सकता है। 2016 को हुए समझौते के अनुसार भारत इस पोर्ट पर दो बर्थ और बना रहा है। दिसंबर 2018 से अब तक भारत ने 82 जहाजों के जरिए 8,200 कंटेनर से 12 लाख टन माल मंगाया या भेजा है। भारत सरकार ने पिछले बजट में चाबहार बंदरगाह के लिए निर्धारित राशि को दोगुना कर दिया था।
ईरान ने चाबहार के रेल प्रोजेक्ट से भारत को बाहर कर चीन को ठेका दे दिया
रविवार को अफगानी मेवों की खेप रवाना होने की खबर ऐसे समय आई है जब इस बात की चर्चा है कि ईरान सरकार ने चाबहार के एक रेल प्रोजेक्ट से भारत को बाहर कर चीन की कंपनी को ठेका दे दिया। हालांकि मोदी सरकार ने इस बात का खंडन करते हुए कहा है कि इस संबंध में तकनीकी और वित्तीय मामले सुलझाने के लिए किसी को अधिकृत नहीं किया गया है। इस रेल प्रोजेक्ट के लिए रूहानी सरकार इसलिए उतावली है कि 2021 में होने जा रहे चुनाव में वह इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर दिखाना चाहती है।
हजारों दोस्त कम हैं और एक दुश्मन भारी है: ईरानी विदेश मंत्रालय
भारत को चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में तो अमेरिकी सरकार से हरी झंडी मिल गई थी, लेकिन क्या चाबहार-जाहेदान रेल प्रोजेक्ट व अन्य कार्यो के लिए भी प्रतिबंधों से छूट मिली है यह स्पष्ट नहीं है। ईरान की फरजाद-बी गैस फील्ड परियोजना से भारत बाहर हो चुका है। यहां भारत की कंपनी ओएनजीसी को काम करना था। बीते शनिवार को ईरानी विदेश मंत्रालय के पश्चिम एशिया मामलों के महानिदेशक सैयद रसूल मुसावी ने एक ट्वीट में कहा कि हजारों दोस्त कम हैं और एक दुश्मन भारी है। ईरान उन सभी मुल्कों से हमेशा कायम रखने वाली दोस्ती रखना चाहता है जो ईरान से दोस्ती करने के इच्छुक हैं। ईरान के पड़ोसी मुल्क भारत, चीन और रूस ईरान की विदेश नीति के अग्रिम पंक्ति की देश हैं। ईरान और चीन के बीच हाल ही में हुए रणनीतिक समझौतों के बीच आई मीडिया रिपोर्ट के बाद ईरान की ओर से आए इस बयान का विशेष महत्व है।