Hajj: मक्का पहुंचने लगे श्रद्धालु, संक्रमण के कारण लागू किए गए हैं सख्त नियम
पूरी दुनिया महामारी के कहर से जूझ रही है। इस घातक वायरस के कारण कई आयोजनों को रद किया गया उसमें से एक हज यात्रा भी है जिसमें लाखों की जगह इस बार केवल हजार श्रद्धालुओं को ही अनुमति
दुबई, एएनआइ। मुस्लिम श्रद्धालु हज यात्रा के लिए मक्का पहुंचने लगे हैं। नॉवेल कोरोना वायरस के कारण इस साल की हज यात्रा के लिए अनेकों बदलाव किए गए हैं। सबसे पहले तो श्रद्धालुओं की संख्या ही सीमित कर दी गई है। वैसे हर उम्र के लोगों को इसके लिए अनुमति दी जाती है लेकिन इस बार उम्र सीमा भी निर्धारित की गई है जो 20-50 वर्ष है। इस बार पूरी दुनिया से नहीं बल्कि केवल सऊदी अरब से ही लोगों को मक्का पहुंचने की अनुमति दी गई है। वैश्विक महामारी के कारण इस साल की हज यात्रा बुरी तरह से प्रभावित है।
श्रद्धालुओं की संख्या सीमित
बुधवार से शुरू होने वाले हज के लिए आम तौर पर पूरी दुनिया से 25 लाख श्रद्धालु हर साल आते थे। दुनिया के सबसे बड़े सामूहिक आयोजनों में से एक हज के लिए लोग मक्का में पांच दिन के लिए एकत्रित होते हैं। इस साल सऊदी अरब के हज मंत्रालय ने कहा है कि किंगडम में रहने वाले लोगों को हज यात्रा की अनुमति दी जाएगी। इसमें दो तिहाई श्रद्धालु यहां रहने वाले विदेशी नागरिक होंगे वहीं एक तिहाई यहां के मूल निवासी। बता दें कि मिड्ल ईस्ट में महामारी से अधिक संक्रमित देशों में से एक संयुक्त अरब अमीरात है जहां संक्रमण के 2 लाख 66 हजार से अधिक मामले हैं इसमें से 2 हजार 7 सौ 33 लोगों की मौत हो चुकी है।
चुने जाने के बाद कर दिए गए क्वारंटाइन
सऊदी अरब में पढ़ने वाले 25 वर्षीय मलेशियाई युवती फातिन दाउद (Fatin Daud) उन चुनिंदा श्रद्धालुओं में से एक हैं जिन्हें इस बार हज यात्रा करने की अनुमति मिली है। चुने जाने के बाद सऊदी स्वास्थ्य मंत्रालय का अधिकारी ने उनके घर जाकर कोविड-19 के लिए उनकी जांच की। इसके बाद उन्हें एक इलेक्ट्रॉनिक ब्रेसलेट दिया गया जिससे उनकी गतिविधियों को मॉनिटर किया जा सके। साथ ही घर में क्वारंटाइन रहने को कहा गया। इसके बाद दाउद मक्का के होटल गई जहां सेल्फ आइसोलेशन में रहीं, अभी भी वो ब्रेसलेट उनके हाथों में है। एक दिन में तीन बार उन तक खाने का पैकेट पहुंचा दिया जाता है।
सऊदी सरकार उठा रही खर्च
इस साल सभी श्रद्धालुओं का खर्च सऊदी सरकार उठा रही है। होटल में रहने, खाने के साथ उनके स्वास्थ्य की देखभाल व आवागमन की सुविधा तक किंगडम की सरकार के हाथ में है। सामान्य तौर पर हज में हजारों डॉलर का खर्च आता है। इससे सऊदी अरब को हर साल करोड़ों डॉलर रेवेन्यू मिलता है। पिछले 90 सालों से सऊदी अरब में एक भी बार हज यात्रा रद नहीं की गई है। पहली बार सऊदी के इतिहास में विदेश से कोई भी श्रद्धालु हज के लिए नहीं आ सका है। पिछले साल 160 देशों से करीब 20 लाख लोग हजयात्रा के लिए आए थे। इसमें से अधिकांश एशिया और अफ्रीका के देशों से आए थे।