इजरायल सीमा पर गुब्बारों के एक झुंड से बढ़ा तनाव, अमेरिकी शांति योजना को झटका
आकाश में चमकीले रंग के गुब्बारों का एक झुंड इजरायल सीमा की ओर आगे बढ़ने लगा। इजरायली सेना हाई अलर्ट पर आ गई।
ब्यूरिज, एजेंसी । इजरायली सेना में उस समय हड़कंप मच गया, जब आकाश में चमकीले रंग के गुब्बारों का एक झुंड इजरायल सीमा की ओर आगे बढ़ने लगा। इजरायली सेना हाई अलर्ट पर आ गई। गुब्बारे की डिवाइस को नीचे गिराने के लिए अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई, लेकिन कोई भी गोली इन गुब्बारों को कुछ भी नहीं बिगाड़ सकी। गुब्बारे आसमान में तैयरते आगे बढ़ गए। इन गुब्बारों की वजह से गाजा में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। इस कदम से इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच अमेरिकी शांति योजना की पहल को एक और झटका लगा है।
गाजा सीमा पर पहले भी इस तरह के गुब्बारों को प्रयोग किया जाता रहा है। ये गुब्बारे इजरायल में एक खतरे के रूप में उभर रहे हैं। कुछ समय पूर्व गुब्बारों को अल ब्यूरिज शरणार्थी शिविर के पास नकाबपोश युवा फिलिस्तीनियों के एक समूह द्वारा लांच किया गया था। गुब्बारों और पतंगों से बंधे विस्फोटक पहली बार गाजा में एक हथियार के रूप में उभरे। इसका इस्तेमाल इस्लामिक समूह हमास ने किया था। 2018 में तीव्र विरोध प्रदर्शन के दौरान, जब रोज़ाना सीमा पार से उपकरण उछलते थे, जिससे इज़रायल के खेतों और समुदायों में हज़ारों आग लगी।
फिलिस्तीन ने अगले माह भी आयुध भरे गुब्बारों को किया था लांच
फिलिस्तीन की ओर से इजरायल सीमा पर आयुध से भरे गुब्बारों को लांच किया गया था। इजरायल सेना ने एक बयान में कहा गया है कि कुछ समय पहले लड़ाकू विमानों ने दक्षिणी गाजा पट्टी में हमास आतंकवादी संगठन के कई ठिकानों को निशाना बनाया था। इजरायली सेना ने हमास के एक आर्मी फैक्ट्री को निशाना बनाते हुए हमला किया था। इस बीच इजरायली सेना ने कहा है कि गत मंगलवार को सैनिकों ने गाजा से इजरायल में घुसने वाले तीन फिलिस्तीनियों की गोली मारकर हत्या कर दी। फिलिस्तीनियों ने इजरायली सैनिकों पर एक विस्फोटक उपकरण फेंका था, इसके जवाब में सेना ने यह कार्रवाई की।
गाजा पट्टी का इतिहास
मध्य एशिया में गाजा पट्टी का विवाद काफी पुराना है। दरअसल, 1948-49 के अरब-इजरायली युद्ध के बाद गाजा पट्टी अस्त्तिव में आया। इसके बाद गाजा पट्टी पर मिस्र ने 1948 से 1967 तक शासन किया। जून 1967 में छह दिनों के युद्ध के बाद इजरायल ने इस पट्टी पर कब्जा जमा लिया था और यह पूरी तरह उसके ही नियंत्रण में थी। इसके बाद इजरायल ने 25 सालों तक इस पर कब्जा बनाए रखा, लेकिन दिसंबर 1987 में गाजा के फिलिस्तिनियों के बीच दंगों और हिंसक झड़प ने एक विद्रोह का रूप ले लिया। हालांकि, पट्टी की दक्षिणी सीमा पर मिस्र का ही कब्जा बरकरार रहा। 1994 में इजरायल ने फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन द्वारा हस्ताक्षरित ओस्लो समझौते की शर्तों के तहत फिलिस्तीनी अथॉरिटी को गाजा पट्टी में सरकारी प्राधिकरण का चरणबद्ध स्थानांतरण शुरू किया।
वर्ष 2000 में चरम पर हिंसा
- वर्ष 2000 की शुरुआत में फिलिस्तीनी अथॉरिटी और इजरायल के बीच वार्ता नाकाम होने से हिंसा अपने चरम पर पहुंच गई, जिसे सामाप्त करने के लिए इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने एक योजना की घोषणा की। इसके तहत गाजा पट्टी से इजरायल सैनिकों को वापस हटाने और स्थानीय निवासियों को बसाने का प्रस्ताव था।
- सितंबर 2005 में इजरायल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना को वापस बुला लिया, जिसके बाद यह पट्टी फिलिस्तीन के अधिकार क्षेत्र में आ गई। हालांकि, इजरायल ने क्षेत्ररक्षा और हवाई गश्त को जारी रखा। अब मूलत: फिलिस्तीन (पेलेस्टाइन नेशनल अथॉरिटी) का ही एक हिस्सा होने के बावजूद यहां पर फिलस्तीन सरकार का नियंत्रण नहीं है।
- इस पर जून 2007 के बाद से कट्टरपंथी आतंकी संगठन हमास का शासन है और फतह (फिलिस्तिन राजनीतिक समूह) की अगुवाई वाली आपातकालीन कैबिनेट ने पश्चिम बैंक का कब्जा कर लिया। फिलिस्तीनी अथॉरिटी अध्यक्ष महमूद अब्बास ने कहा कि गाजा हमास के नियंत्रण में रहेगा। फिलीस्तीन में 2006 में संसदीय चुनाव हुए थे। इसमें हमास विजयी रहा था।
- अपेक्षाकृत उदार दल फतह दूसरे स्थान पर आया। दोनों दलों ने मिलकर सरकार बनाई। लेकिन फिर जून 2007 में हमास ने गाजा पट्टी पर अकेले कब्जा कर लिया। इसके बाद से आज तक गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा बरकरार है। फतह शासित फिलीस्तीन का अधिकार केवल वेस्टबैंक तक है। 2007 के अंत में इजरायल ने गाजा पट्टी को दुश्मन क्षेत्र घोषित कर दिया और इसके साथ ही गाजा पर कई प्रकार के प्रतिबंधों को मंजूरी दी।