आतंकवाद के गढ़ में आतंकियों को आइना दिखाते ये तीन नाम, जानें- क्या है मामला
आतंकवाद के भय से निजात दिलाने के लिए अफगानिस्तान के करीम, बच्चों में लोकप्रिय फ्रेशता करीम और ईरान का एक रॉक बैंड कुछ इस तरह से काम कर रहे हैं।
नई दिल्ली [ जागरण स्पेशल ]। दुनिया में अफगानिस्तान के कॉमेडियन चार्ली चैपलिन के नाम से प्रख्यात करीम, बच्चों में लोकप्रिय फ्रेशता करीम और ईरान का एक रॉक बैंड सुर्खियों में हैं। आतंकवाद से जूझ रहे इन मुल्कों में ये नाम किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। इन मुल्कों के नागरिकों की जुबां पर इनका नाम आते ही ये मुस्करा देते है। आइए हम आपको बताते हैं, इनके बारे में। आखिर ये शख्स हैं कौन और कैसे बनें फरिश्ता।
जरा कल्पना कीजिए उन देशों की जहां आतंकी गतिविधियों के चलते यहां के नागरिक हर पल आपनी मौत के साए को साथ लिए घूमते हैं। उनकी खुशियां और हंसी बम धमाकों की आवाज में पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। कई वर्षों से इन नागरिकों के चेहरों पर मुस्कराहट नहीं आई है। लेकिन, इन सबके बीच यहां एक अच्छी खबर भी है। इन मुल्कों में अपनी मौत से बेपरवाह कुछ लोगों ने यहां के लोगों के चेहरे पर मुस्कराहट लाने और उनको भय से उबारने का जिम्मा अपने कंधों पर ले रखें हैं।
युवा करीम की कॉमेडी का कायल हुआ काबूल
अफगानिस्तान के रहने वाले युवा करीम अपनी कॉमेडी के जरिए अपने देश के निवासियों को हंसा रहे हैं। उनका ध्यान आतंकी घटनाओं की ओर से हटा रहे हैं। करीम की उम्र करीब 25 वर्ष है। काबूल और उसके आस-पास के लोग करीम को दुनिया के मशहूर कॉमेडियन चार्ली चैपलिन के नाम से जानते हैं। करीम की शक्ल सूरत और चाल-ढाल चार्ली चैपलिन की तरह है। करीम चैपलिन की तरह अभिनय कर जंग से तबाह हो चुके लोगों को हंसाने की कोशिश में जुटे हैं।
करीम यहां के स्ट्रीट शो एवं सार्वजनिक कार्यक्रमों में पहुंच कर लोगों को गुदगुदाने की कोशिश करते हैं। करीम कहते हैं कि वह कर्इ आत्मघाती हमले और धमाके देख चुके हैं। इतना ही नहीं लोगों को अपनी आंखों के सामने तड़प-तड़प कर मरते देखा है। अब तो उनकी जिंदगी का मकसद जंग से तबाह नागरिकों को हंसाना है। हालांकि करीम को कई बार तालिबानियों ने जान से मारने की धमकी दी है। इस बाबत तालिबानियों का दावा है कि करीब का शो गैर इस्लामिक है। लेकिन जान की परवाह किए बगैर इस काम काे अंजाम दे रहे हैं। करीब का साफ कहना है कि वह अपना कार्यक्रम जारी रखेंगे, चाहे उनकी जान चली जाए।
बच्चों में अलख जागाती फ्रेशता करीम
अफगानिस्तान में बच्चों की जुबां पर एक और नाम है। वह है फ्रेशता करीम का। जी हां, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्नातक की शिक्षा पूरी कर फ्रेशता अपने वतन अफगानिस्तान लौट आईं। उन्होंने वतन लौटने का फैसला ऐसे वक्त किया, जब अफगानिस्तान में तालिबान आतंक का बोलबाला है। अफगानिस्तान में इस्लामिक कट्टरवादी समूह तालिबान ने देश के कई हिस्सों पर कब्जा जमाया हुआ है। आतंकी गतिविधियों के चलते यहां की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। फ्रेशता ने इस गंभीर समस्या को देखा और सुना और इस चुनौती काे स्वीकर किया। उन्होंने प्रण लिया कि वह बच्चों में शिक्षा की अलख जगाएंगी।
वह यहां की शिक्षा व्यवस्था को नए सिरे से उबारने की कोशिश में जुटी हैं। इस बाबत फ्रेशता यहां एक मोबाइल लाइब्रेरी का संचालन कर रहीं हैं। फ्रेशता रोजाना बस पर सवार होकर राजधानी काबुल में सफर करतीं हैं और बच्चों को किताबें पढ़ने का मौका देती हैं। फ्रेशता का लक्ष्य देश के उन नौनिहालों तक पुस्तकों को पहुंचाना है, जो किसी न किसी वजह से स्कूल जाने में असमर्थ हैं। बता दें कि अफगानिस्तान दुनिया के ऐसे मुल्कों में शामिल है जहां साक्षरता दर सबसे कम है। यूनेस्को के मुताबिक अफगानिस्तान में हर 10 में से तीन व्यक्ति ही साक्षर हैं।
आतंकियों तक पहुंचती है ईरान का इस रॉक बैंड की धुन
ईरान की राजधानी तेहरान में इन दिनों एक रॉक बैंड चर्चा में है। दरअसल, इस रॉक बैंड को अफगानिस्तान मूल के चार शरणार्थियों ने बनाया है। यह बैंड अपनी धुनों के जरिए आतंकी संगठन आईएस और तालिबान की क्रूरता का पर्दाफाश कर रहा है। इसके जरिए वह आतंकी संगठनों को भी यह संदेश दे रहा है कि हत्या करने से जन्नत नहीं मिलती है। हालांकि, यह बैंड भी आतंकियों के निशाने पर है। बैंड के सदस्यों पर आतंकी हमला हाे चुका है। अफगानिस्तान जाते वक्त इस बैंड पर हमला भी हो चुका है। ईरान में 20 लाख अफगानी मूल के रिफ्यूजी हैं।
ये बैंड ईरान में हो रहे भेदभाव और समस्या को भी लोगों के सामने रखता है। बैंड की इकलौती महिला सदस्य हाकिम इब्राहीम कि हमारा मकसद संगीत के जरिए इन लोगों की मदद करना और उन्हें प्रेरित करने का है। लोग बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करें।