तेल उत्पादन में कटौती का मसला: ओपेक देशों और यूएई के बीच मतभेद, आज से फिर शुरू होगी वार्ता
तेल उत्पादन में कटौती अगले वर्ष दिसंबर तक जारी रखने के विरोध में है यूएई। ओपेक के बाकी सदस्य तेल उत्पादन में कटौती का वर्तमान वैश्विक समझौता अगले वर्ष अप्रैल के बाद भी जारी रखना चाहते हैं। आज से फिर शुरू होगी बातचीत।
दुबई, एपी। कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के मसले पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के अन्य सदस्यों में अनबन की स्थिति बन रही है। ओपेक के बाकी सदस्य तेल उत्पादन में कटौती का वर्तमान वैश्विक समझौता अगले वर्ष अप्रैल के बाद भी जारी रखना चाहते हैं। लेकिन रविवार को यूएई ने ओपेक और सहयोगी उत्पादक देशों की इस योजना का विरोध किया है।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई)के ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि उसका उत्पादन कोटा बढ़ाए बगैर समझौते को अगले वर्ष दिसंबर तक विस्तार देना उसके साथ नाइंसाफी होगी।ओपेक के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल यूएई अपने सहयोगी एवं महत्वपूर्ण सदस्य सऊदी अरब के साथ प्रतिस्पर्धा में अपना उत्पादन बढ़ाना चाह रहा है। सऊदी अरब ने ओपेक समूह के कच्चे तेल के उत्पादन की एक सीमा निर्धारित करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
आज से दोबारा शुरू होगी बातचीत
सऊदी अरब के नेतृत्व में ओपेक सदस्यों और गैर सदस्यों का संयुक्त ओपेक प्लस समूह तेल उत्पादन को लेकर बीते शुक्रवार को किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहा। इस विवाद पर सोमवार को फिर से बातचीत शुरू होगी। तेल उत्पादक गैर-ओपेक सदस्यों में रूस प्रमुख देश है। यूएई ने कहा कि वह गर्मियों में उत्पादन बढ़ाने की योजना के पक्ष में है। उसका मानना है कि बाजार को अभी कच्चे तेल की सख्त जरूरत है और इसके लिए उत्पादन बढ़ाना बेहद जरूरी है।
पिछले वर्ष कोरोना महामारी संकट के चलते तेल की मांग घटने के साथ उसकी वैश्विक कीमतों में कमी आई थी। इसे संतुलित करने के लिए तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन घटाने को लेकर समझौता किया था। यूएई के ऊर्जा मंत्री सुहैल अल-मजरूई ने कहा कि त्याग हर किसी को करना पड़ा है। लेकिन सबसे ज्यादा त्याग यूएई ने किया, जिसे दो वर्षो तक अपनी करीब एक-तिहाई उत्पादन क्षमता बंद रखनी पड़ी है।