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ईरान का खुफिया मिसाइल कार्यक्रम, अमेरिका के लिए खतरा!

ईरान ने एक साइट पर एडवांस राकेट इंजन और राकेट फ्यूल पर काम किया, जहां ज्यादतर रात के वक्त कार्य किया गया। ऐसा संभव है कि इससे मध्यम दूरी की मिसाइल बनाई जा सकती है।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 24 May 2018 09:30 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 08:27 AM (IST)
ईरान का खुफिया मिसाइल कार्यक्रम, अमेरिका के लिए खतरा!
ईरान का खुफिया मिसाइल कार्यक्रम, अमेरिका के लिए खतरा!

वाशिंगटन, एजेंसी। ईरानी लंबी दूरी मिसाइल शोध कार्यक्रम की उम्मीदें उस वक्त जमींदोह हो गई, जब वर्ष 2011 में एक विस्फोट हुआ और इस शोध को चलाने वाले सैन्य वैज्ञानिक को मार डाला गया। कई पश्चिमी विश्लेषकों ने इसे तेहरान की तकनीकी विकास का विनाश करार दिया। तभी से ऐसा अंदेशा जताया जा रहा था कि ईरान मिसाइल तकनीक पर काम कर रहा है। इस दौरान ईरानी नेताओं की ओर से कहा जाता रहा कि उनकी ओर से ऐसी कोई मिसाइस बनाने की योजना नहीं है।

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हालांकि जब कैलिफोर्निया स्थित हथियार शोधकर्ताओं की टीम ने पिछले वर्ष ईरानी स्टेट टीवी प्रोग्राम देखा तो उसमें सैन्य वैज्ञानिक की महिमा का बखान किया जा रहा था, जो कि शोधकर्ताओं के लिए ऐतिहासिक सबक था। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि वैज्ञानिक की मृत्यु से पहले जनरल हसन तेहरानी ने ईरान के रेगिस्तान में एक सीक्रेट तरीके से मिसाइल कार्यक्रम का काम पूरा कर लिया था।

शोधकर्ताओं ने इस तकनीकी सुविधा की सैटेलाइट फोटो प्राप्त की। उनके मुताबिक, ईरान ने एक साइट पर एडवांस राकेट इंजन और राकेट फ्यूल पर काम किया, जहां ज्यादतर रात के वक्त कार्य किया गया। ऐसा संभव है कि इससे मध्यम दूरी की मिसाइल बनाई जा सकती है।

हालांकि शोधकर्ताओं के स्ट्रक्चर और ग्राउंड मार्किंग में एकरूपता नहीं दिखी। ऐसे में यह साबित नहीं हुआ कि ईरान लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक पर काम कर रहा है। वहीं, इस तरह ईरान का प्रोग्राम अंतरराष्ट्रीय डील का उल्लंघन करने के आरोप से बच निकला, जो कि बाद में न्यूक्लियर हथियारों के विकास के लिए जिम्मेदार वजह बनीं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, ईरान का परमाणु कार्यक्रम सीधे तौर पर यूरोपीय यूनियन और अमेरिका के लिए खतरा होगा। ऐसे में ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ना लाजिमी है।

पांच विशेषज्ञों की एक टीम जिसने स्वतंत्र रूप से मामले को देखा है। वो इस बात पर सहमत हुए कि ईरान लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक पर काम कर रहा है। उनमें से एक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज के मिसाइल एक्सपर्ट मिचेल इलिमन ने जांच के कुछ अहम बिंदुओ को चिन्हिंत किया, जो कि वैज्ञानिकों के लिए हलचल पैदा करने के लिए काफी थे। उनके मुताबिक, साक्ष्यों से पता लगता है कि तेहतान पांच से दस वर्षों से इस कार्य में लगा हुआ है। ईरान में यूनाइटेड नेशन मिशन की प्रेस अधिकारी ने इस मामले में कुछ बोलने से मना कर दिया। उनके मुताबित, वो मिलिट्री मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगी।

कैलिफोर्निया के इंटरनेशनल स्टडीज के एक शोध की मानें तो ईरान के शाहरुद से 25 मील दूर फैसीलिटी सेंटर था। जहां से मिसाइल टेस्ट किया गया, जो कि तस्वीर में दिखाया गया है। इस मामले में वर्ष 2017 में उस वक्त एक बड़ा खुलासा हुआ, जब ईरानियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से मुहद्दाम के आसपास की एक तस्वीर पेश की गई, उसमें शाहरुद को दिखाया गया। शहरुद एक कस्बे का नाम है, जो कि उस स्थान से 40 किमी दूर है, जहां वर्ष 2013 में मिसाइल टेस्ट लांच किया गया था।

ग्राउंड स्कार्स-

कई तरह की मिलिट्री तकनीक प्रारंभिक अवस्था में विकसित कर ली गई थी। इनडोर, बैलेस्टिक लैब, विन्ड टनल और इनरिचमेंट सुविधा को बिल्डिंग से ढक कर रखा गया या फिर हो सकता है कि यह सब अंडरग्राउंड किया गया। मिसाइल एक अपवाद है। उनके इंजन को खड़े करना और परीक्षण के लिए निकालना खतरनाक काम है, जो कि आमतौर पर खुली जगह में किया जाता है और फिर विस्फोट के बाद जमीन में जले का निशान बन जाता है।

शोधकर्ताओं ने शाहरुद के इलाके के आसपास की सैटेलाइट तस्वीरें है, जिसमें शाहरुद से कुछ किमी दूर एक क्रियेटर दिखा, जो कि अब तक विशेषज्ञों की जानकारी से बाहर था। यह हाल ही स्पेस सेंटर में इस्तेमाल की गई जगह प्रतीत होती है। यहां की जमीन में दो गहरे निशान दिखे। ऐसी तस्वीरे वर्ष 2016 और फिर वर्ष 2017 जून में दिखे। शोधकर्ताओं टेस्ट स्टैंड की स्क्रूटनी की। शोधकर्ताओं की मानें तो शाहरुद के वर्ष 2017 टेस्ट में 370 टन इस्तेमाल किए जाने की बात कही गई, जिसमें इंजन का वजन 62 से 93 टन का रहा, जो कि एक इंटरकांटिनेंटल बैलेस्टिक मिशान के लिए पर्याप्त होता है। अभी तक दो बिना प्रयोग किए गए स्टैंड प्राप्त किए गए हैं।

इसी तरह शाहरुद में एक मिसाइल परीक्षण का एक प्रमाण मिला कि वहां तीन हाउस पिट बरामद किए गए, जो कि राकेट कंपोनेंट को लाने और रखने में इस्तेमाल किए जाते हैं। इसमें से एक पिट 5.5 मीटर व्यास का था, जो कि ईरान की मध्यम दूरी की मिसाइल परीक्षण के लिए जिम्मेदार माना जाता है। शोधकर्ताओं की माने तो ऐसी सुविधा मौजूद है कि सैटेलाइट इमेज का क्वालिटी बेहतर की जा सके। इसके जरिए बिल्डिंग के बीच में और ट्रैफिक में चीजों की पहचान की जा सकती है। कैलिफोर्निया के रिसर्चर डेविड के मुताबिक पुराने सैटेलाइन में ऐसी सुविधा ही है।

ऐसे प्रश्न जिनका सवाल नहीं मिला

कैलिफोर्निया स्थित रिसर्च टीम की अगुवाई करने वाले जेफरी लुईस ने कहा कि हमने ईरान परमाणु कार्यक्रम के बारे में ठोकर खाई है। उनके मुताबिक शायद ईरान आज की स्थिति में मध्यम दूरी की मिसाइलों का एक और अधिक उन्नत संस्करण विकसित कर सकता है और इसे स्पेस राकेट बताकर छिपाया जा सकता है।

हेजिंग बेट्स

सेंट्रल फॉर स्ट्रैटजिक एडं इंटरनेशनल स्टडीज के ईरानी मामलों के एक्सपर्ट डीना के ईरान लंबी दूरी की मिसाइल तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा है। हालांकि जरूरत महसूस होने पर उसके लिए जमीन जरूर तैयार रखना चाहता है। उनके मुताबिक, अगर अमेरिका की ओर से ज्यादा दबाव डाला गया तो शायद ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को रोक दें। वैसे भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में पुख्ता तौर पर कोई जानकारी नहीं है। इसी तरह नार्थ कोरिया की परमाणु क्षमता को संदेह का लाभ मिला। उसकी क्षमता को नजरअंदाज किया गया और फिर परिणाम यह हुआ कि नार्थ कोरिया परमाणु कार्यक्रम को रफ्तार देता चला गया।

कितना लंबा रहा है मिसाइल परीक्षण का इतिहास

वर्ष 2017 में आमिर अली हाजिद्दाह के रेव्यूलूशनरी गार्ड ऑफिसर ने टिप्पणी की कि सैन्य परिवार पर शिकायत करते हुए कहा कि कुछ सरकार में शामिल सज्जन स्पेस लांच रा्केट पर काम कर रहे हैं, जो कि लांचिंग के लिए तैयार थी। लेकिन इसे अमेरिका के डर की वजह से स्टोर में रख दिया गया है। जो कि हमारे लिए स्वीकार्य नहीं था। आखिर हम तक हम खुद को नीचा दिखाते रहेंगे।

ट्रंप के न्यूक्लियर समझौते से बाहर निकल जाने के बाद से जेद्दाह जैसे हार्डलाइनर इस मिसाइल कार्यक्रम को दोबारा शुरु करने को लेकर दबाव डाल सकते हैं। स्थिति बदल गई है, क्योंकि अब ईरान पर कोई प्रतिबंध नहीं है।


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