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पीएम मोदी के सहारे चुनावी नैया पार लगाएंगे बेंजामिन नेतन्याहू, जानें कैसे

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहते हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 10:28 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 10:28 PM (IST)
पीएम मोदी के सहारे चुनावी नैया पार लगाएंगे बेंजामिन नेतन्याहू, जानें कैसे
पीएम मोदी के सहारे चुनावी नैया पार लगाएंगे बेंजामिन नेतन्याहू, जानें कैसे

यरुशलम, प्रेट्र। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहते हैं। इस कवायद में चुनाव से पहले उनकी भारत दौरे पर आने की योजना है। इस दौरे पर मोदी के साथ अपनी तस्वीरों का वह चुनाव प्रचार में लाभ उठाना चाहते हैं। इजरायल के एक प्रमुख अखबार में छपे एक लेख में यह दावा किया गया है।

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हारेत्ज अखबार के स्तंभकार योसी वर्टर ने एक लेख में लिखा है, 'नेतन्याहू उम्मीद कर रहे हैं कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ तस्वीरें खिंचवाने से उन्हें मदद मिलेगी।' सूत्रों के अनुसार, इसके लिए नेतन्याहू के एक दिनी दिल्ली दौरे की योजना बनाई जा रही है। भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय ने 25 अगस्त को दौरा करने का सुझाव दिया है। जबकि इजरायली पक्ष 17 सितंबर को होने वाले चुनाव के करीब की तारीख चाहता है।

इस सप्ताहांत प्रकाशित लेख में वर्टर ने यह दलील दी है कि नेतन्याहू ने अप्रैल में हुए चुनाव से पहले भी दुनिया के तीन राष्ट्राध्यक्षों और क्षेत्रीय शक्तियों का सहयोग प्राप्त किया था। उन्होंने लिखा, 'ह्वाइट हाउस ने नेतन्याहू के लिए तब दौरा आयोजित किया था जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गोलान पहाडि़यों पर इजरायल के कब्जे को मान्यता देने वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। वह 25 मार्च की तारीख थी और यह ट्रंप का शालीन योगदान था। इसके बाद नेतन्याहू इजरायल लौट आए थे।

एक अप्रैल को ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो इजरायल दौरे पर आए थे। फिर चुनाव से ठीक एक हफ्ते पहले नेतन्याहू मॉस्को गए और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हॉलीवुड स्टाइल में उनके लिए सम्मान समारोह आयोजित किया था।'

नहीं मिला था किसी दल को बहुमत
इजरायल में गत नौ अप्रैल को हुए आम चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। 120 सदस्यीय संसद में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को सबसे ज्यादा 36 सीटें मिली थीं। लेकिन वह तय समय में दोबारा गठबंधन सरकार बनाने में विफल रहे थे। इसके चलते देश में 17 सितंबर को फिर चुनाव कराने की नौबत आई है।


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