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अमेरिका-उत्तर कोरिया के बीच तनाव बढ़ा, विदेश मंत्री ने कहा नहीं हटेंगे प्रतिबंध

अमेरिका ने कहा है कि जब तक कोरिया अपने आखिरी परमाणु का निरस्त्रीकरण नहीं कर देता तब तक उस पर लगे प्रतिबंधों को हटाया नहीं जाएगा।

By Arti YadavEdited By: Published: Sun, 08 Jul 2018 12:21 PM (IST)Updated: Sun, 08 Jul 2018 12:29 PM (IST)
अमेरिका-उत्तर कोरिया के बीच तनाव बढ़ा, विदेश मंत्री ने कहा नहीं हटेंगे प्रतिबंध
अमेरिका-उत्तर कोरिया के बीच तनाव बढ़ा, विदेश मंत्री ने कहा नहीं हटेंगे प्रतिबंध

टोक्यो (एएफपी)। अमेरिका और उत्तर कोरिया की दो दिन तक चली गंभीर शांति वार्ता अब संकट में पड़ती दिख रही है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने उत्तर कोरिया के धमकाने वाले बयान का जवाब दिया है और कहा है कि जब वह अपने आखिरी परमाणु का निरस्त्रीकरण नहीं कर देता तब तक उस पर लगे प्रतिबंधों को हटाया नहीं जाएगा। बता दें कि प्योंगयांग ने वाशिंगटन की परमाणु निरस्त्रीकरण की मांगों को 'धमकाने वाली' करार देते हुए उन्हें मानने से इनकार कर दिया था।

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प्योंगयांग में दो दिनों की गहन चर्चा के बाद पोम्पिओ टोक्यो गए हुए हैं। यहां उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि दोनों देशों की बीच बातचीत प्रगति कर रही है और एक-दूसरे पर भरोसा किया जा रहा है। वहीं प्योंगयांग ने इस बातचीत को नकारात्मक बताया था। समाचार एजेंसी केसीएनए ने उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा कि पोम्पिओ ने परमाणु मुद्दे पर एकपक्षीय और धमकाने वाली मांगें रखी, वहीं वाशिंगटन की ओर से किसी भी रचनात्मक कदम की पेशकश नहीं की गई।

पॉम्पिओ ने प्योंगयांग के उनके प्रयासों को खारिज करने और अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से शांति प्रक्रिया को फिर शुरू करने के अपील करने के सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं की। विदेश मंत्री ने कहा कि ये पेचीदा मुद्दे हैं लेकिन हमने सभी मुख्य मुद्दों पर काम शुरू कर दिया है। कुछ में कामयाबी मिली तो कुछ पर अभी और कार्य किया जाना बाकी है।

उत्तर कोरिया के साथ हुई बातचीत पर अपने जापानी और दक्षिण कोरियाई समकक्षों के साथ चर्चा के लिए टोक्यो पहुंचे पॉम्पिओ ने कहा कि बातचीत सकारात्मक रही। पॉम्पिओ ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि जापानी समकक्ष के साथ उनकी बैठक रचनात्मक हुई और उन्होंने उत्तर कोरियों पर ‘अधिकतम दबाव बनाने’ पर चर्चा की। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री शिंजो आबे से भी मुलाकात की, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उत्तर कोरिया परमाणु प्रस्ताव का मुद्दा वैश्विक एवं क्षेत्रीय स्थिरता दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।


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