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नए मॉडल से मस्तिष्क की गणना प्रणाली को समझने में मिलेगी मदद

शोधकर्ता अब इन निष्कर्षों के आधार पर मस्तिष्क की तरह मेमोरी डिवाइस विकसित कर रहे हैं जो फिलहाल कंप्यूटर में प्रयोग हो रहे सिद्धांतों से बिल्कुल तरह से काम करते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 08:51 AM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 08:51 AM (IST)
नए मॉडल से मस्तिष्क की गणना प्रणाली को समझने में मिलेगी मदद
नए मॉडल से मस्तिष्क की गणना प्रणाली को समझने में मिलेगी मदद

टोक्यो, प्रेट्र। दुनिया में कई ऐसी गुत्थियां हैं, जिसे सुलझाने की कवायद जितनी अधिक होती है, वह उतनी ही उलझती जाती है। इन्हीं में एक इंसानी दिमाग के काम करने की गुत्थी भी है। इसे लेकर अभी तक कई शोध और अध्ययन हो चुके हैं, लेकिन सटीक पता नहीं लग सका है कि हमारा मस्तिष्क यानी दिमाग कैसे काम करता है। हालांकि, अब शोधकर्ताओं ने अल्ट्रास्मॉल मेटालिक वायर से बने एक नेटवर्क को विकसित किया है। माना जा रहा है कि यह मस्तिष्क की गणना प्रणाली को समझने का नया रास्ता दिखा सकता है। यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने मानव के मस्तिष्क की विद्युतीय गतिविधियों खासतौर पर याददाश्त, सीखना और भूलने जैसी प्रक्रिया की नकल बनाने के लिए मेटालिक नैनोवायर नेटवर्क का प्रयोग किया।

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जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैटेरियल साइंस सहित अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं के अनुसार, मस्तिष्क की तरह काम करने में सक्षम प्रणाली मस्तिष्क विज्ञान को और अधिक विकसित स्तर पर ले जाने में प्रभावी साबित हो सकती है। शोधकर्ताओं ने एक बयान में कहा कि इस अध्ययन के लिए उन्होंने न्यूरोन्स और उनके बीच जोड़ने वाले सिनैप्स (सूत्रयुग्मन) जैसे मस्तिष्क के बुनियादी घटकों का विस्तार से अध्ययन किया गया है। हालांकि, अभी भी मस्तिष्क से जुड़े कई सवाल पूरी तरह अनुत्तरित हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रायोगिक शोध में जीवंत मस्तिष्क के साथ हेरफेर करना मुश्किल है, क्योंकि तब मस्तिष्क एक ‘रहस्यमयी अंग’ बना रहता है। उन्होंने इन चुनौतियों से पार पाने के लिए एक प्रणाली विकसित की, जो मस्तिष्क की तरह काम करने में सक्षम हो, ताकि ज्ञानसंबंधी प्रक्रिया के पीछे के तंत्र की पड़ताल की जा सके।

ऐसे बनाया नया मॉडल

शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क की तरह अपने जटिल नेटवर्क को बनाने के लिए पॉलिमर इंसुलेशन से लिपटे सिल्वर नैनोवायर का प्रयोग किया। इसमें सिनैप्स बनाने के लिए दो नैनोवायर के बीच एक जोड़ का भी प्रयोग किया गया। अध्ययन के अनुसार, नैनोवायर में बड़ी संख्या में परस्पर प्रभाव वाले विस्तृत सिनैप्टिक होते हैं और यही ‘न्यूरोमॉर्फिक नेटवर्क’ का निर्माण करते हैं। जब इस नेटवर्क में विद्युत बल का प्रयोग किया जाता है, तो यह अपना सर्वोत्तम प्रवाह का रास्ता तलाशने में ‘जद्दोजेहद’ करता है। शोधकर्ताओं की टीम ने नेटवर्क से विद्युत धारा प्रवाहित करने के बाद प्रवाह के मार्ग निर्माण, अवरोधन और निष्क्रियता को मापा। उन्होंने पाया कि जैसे-जैसे इनमें प्रगति होती है, वैसे-वैसे इनमें उतार-चढ़ाव आता है। यह प्रक्रिया कुछ उसी तरह है, जैसे मानव का मस्तिष्क याददाश्त, सीखने और भूलने की प्रक्रिया के दौरान काम करता है।

मेमोरी डिवाइस बनाने में जुटे शोधकर्ता वैज्ञानिकों के अनुसार, इन दोनों की प्रक्रिया में भी एकरूपता होती है, जिसके जरिये मस्तिष्क चौकन्ना होता है या शांत होता है। शोधकर्ता अब इन निष्कर्षों के आधार पर मस्तिष्क की तरह मेमोरी डिवाइस विकसित कर रहे हैं, जो फिलहाल कंप्यूटर में प्रयोग हो रहे सिद्धांतों से बिल्कुल तरह से काम करते हैं।


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