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पार्किंसन के इलाज के लिए स्टेम सेल का मस्तिष्क में ट्रांसप्लांट अब संभव

लंबे समय तक तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर चलने-फिरने से मजबूर करने वाली बीमारी पार्किंसन को ठीक करने को जापान में एक नया शोध किया गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 11:51 AM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 11:55 AM (IST)
पार्किंसन के इलाज के लिए स्टेम सेल का मस्तिष्क में ट्रांसप्लांट अब संभव
पार्किंसन के इलाज के लिए स्टेम सेल का मस्तिष्क में ट्रांसप्लांट अब संभव

टोक्यो, एएफपी। लंबे समय तक तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर चलने-फिरने से मजबूर करने वाली बीमारी पार्किंसन को ठीक करने को जापान में एक नया शोध किया गया है। इस प्रयोग में क्योटो यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने एक प्रकार के स्पेशल स्टेम सेल को पार्किंसन से पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया है। गत माह हुए इस मेडिकल प्रयोग में 24 लाख की संख्या में इंड्यूस्ड प्लूरीपोटेंट स्टेम(आइपीएस) सेल को एक 50 साल से ऊपर के पार्किंसन से पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क के बाएं हिस्से में प्रत्यारोपित किया गया। इनकी हालत अभी स्थिर बनी हुई है और अभी दो वर्षों तक इन्हें चिकित्सकों की निगरानी में रखा जाएगा। इस पहले चरण की सफलता के छह महीने बाद इतनी ही संख्या में स्टेम सेल का एक और प्रत्यारोपण मस्तिष्क के दाएं हिस्से में किया जाएगा।

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शोध में लिए गए इन स्टेम सेल को एक स्वस्थ डोनर से लेकर पहले ब्रेन सेल में विकसित किया गया। फिर इसे पीड़ित आदमी के मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किया गया। वस्तुत: पार्किंसन से पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क में डोपामीन स्राव करने वाली कोशिकाएं मर जाती हैं। जिसके कारण उनके शरीर का सिस्टम यानी अंगों की गतिविधि को संचालित करने वाला मस्तिष्क केंद्र अप्रभावी हो जाता है।

पार्किंसन एक लंबे समय तक प्रभावित करने वाला रोग है जिसमें तंत्रिका तंत्र प्रभावित होने के कारण चलने-फिरने में कठिनाई के साथ-साथ शरीर के अंग कांपते हैं और इसके ठीक होने की संभावना लगभग नहीं के बराबर होती है। पार्किंसन डिजीज फाउंडेशन के अनुसार विश्व भर में एक करोड़ से भी ज्यादा लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। अभी तक इस बीमारी में उपलब्ध इलाज इनके लक्षणों में कुछ कमी ही ला पाते हैं। ये इसके र्दीघकालिक प्रभाव को न तो खत्म कर पाते हैं और न ही इसे आगे और जटिल होने से रोक पाते हैं।

मनुष्य पर किए गए इस शोध से पहले इस प्रयोग का ट्रायल बंदरों पर किया जा चुका है। पार्किंसन से पीड़ित इन बंदरों पर आइपीएस सेल का प्रयोग सकारात्मक नतीजे लेकर आया था। इन पर किए गए प्रयोग से यह बात भी सामने आई कि आइपीएस सेल प्रत्यारोपित होने के दो साल बाद भी किसी तरह का ट्यूमर नहीं बना। चिकित्सकों को उम्मीद है कि नए शोध स् उन्हें एक राह मिलेगी।

पार्किंसन के लिए आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेदिक की मदद से पार्किंसन के प्राकृतिक उपचार में मदद मिलती है, जिससे बीमारी से छुटकारा पाकर आपका शरीर पूरी तरह स्‍वस्‍थ हो जाता है। यह एक ऐसा इलाज है जिसमें पूरे शरीर का इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार तथ्‍य पर आधारित होता है, जिसमें अधिकतर समस्‍याएं त्रिदोष में असंतुलन यानी कफ, वात और पित्त के कारण उत्‍पन्‍न होती है।

दिमाग का टॉनिक ब्राह्मी

पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के द्वारा किए एक अन्य अध्ययन के अनुसार, ब्राह्मी के बीज का पाउडर पार्किंसन के लिए बहुत बढि़या इलाज है। यह रोग को दूर करने और मस्तिष्क की नुकसान से रक्षा करने करने का दावा करती है।

सबसे अच्‍छा हर्ब हल्दी

हल्‍दी एक ऐसा हर्ब है, जिसमें मौजूद स्‍वास्‍थ्‍य गुणों के कारण हम इसे कभी अनदेखा नहीं कर पाते। मिशिगन स्‍टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता बसीर अहमद भी इसके बहुत बड़े प्रशंसक है। उन्‍होंने एक ऐसी शोधकर्ताओं की टीम का नेत्तृव भी किया, जिन्‍होंने पाया कि हल्‍दी में मौजूद करक्यूमिन नामक तत्‍व पार्किंसंस रोग को दूर करने में मदद करता है। ऐसा वह इस रोग के लिए जिम्‍मेदार प्रोटीन को तोड़कर और इस प्रोटीन को एकत्र होने से रोकने के द्वारा करता है।  


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