नहीं छोड़ा गया फुकुशिमा का रेडियोएक्टिव पानी तो फट जाएगा टैंक और फिर नुकसान भी होगा बड़ा
जापान अधिक समय तक फुकुशिमा न्यक्लियर प्लांट का रेडियोएक्टिव पानी रोक कर नहीं रख सकेगा! इसलिए उसके लिए इसको समुद्र में छोड़ना एक मजबूरी बन गया है। गौरतलब है कि जापान में कुछ माह बाद ओलंपिक गेम्स भी होने हैं।
टोक्यो (रॉयटर्स)। जापान अब अधिक समय तक क्षतिग्रस्त हुए फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट का रेडियोएक्टिव पानी जमा नहीं कर सकेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस टैंक में वो अब तक इस पानी को जमा कर रहा था उसकी तय सीमा पूरी होने वाली है। इसके एक बार भर जाने के बाद जापान के लिए इसको छोड़ना एक बड़ी मजबूरी बन जाएगा। जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने साफ कर दिया है कि जापान अब इस पानी को अगले दो वर्षों के अंदर समुद्र में छोड़ देगा। इसको लेकर जापान ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में विरोध के सुर भी सुनाई दे रहे हैं।
विरोधी सुर और सरकार का जवाब
जापान के इस फैसले का विरोध करने वालों का कहना है कि इस दूषित पानी से समुद्र का जनजीवन नष्ट होने के कगार पर पहुंच जाएगा। साथ ही इसका प्रतिकूल प्रभाव समुद्र में अन्य चीजों पर भी पड़ सकता है। हालांकि जापान की सरकार का कहना है कि जो पानी वो समुद्र में छोड़ने की बात कर रही है वो रेडियोधर्मी शोधित है। इसलिए इसका प्रतिकूल प्रभाव समुद्री जन-जीवन पर नहीं पड़ने वाला है। वहीं वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि पानी में मौजूद रेडियोएक्टिव पदार्थ का स्तर जीरो नहीं किया जा सकता है। हालांकि वैज्ञानिक इस बात का दावा नहीं कर रहे हैं कि इस पानी के समुद्र में डालने के बाद वहां के जनजीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
2011 में हुआ था क्षतिग्रस्त
आपको बता दें कि फुकुशिमा परमाणु संयंत्र वर्ष 2011 में आए विनाशकारी भूकंप और सुनामी में क्षतिग्रस्त हो गया था। उस वक्त इसमें लगातार कइ्र धमाके भी हुए थे जिसके बाद इस संयंत्र के रिएक्टर से रेडियोएक्टिव पदार्थ मिले पानी का रिसाव शुरू हो गया था। उस वक्त जापान की सरकार ने इसको तुरंत समुद्र में न डालते हुए इसको फुकुशिमा डाइची प्लांट में एकत्रित करने का फैसला किया था। लेकिन अब इस संयंत्र की स्टोरेज कैपेसिटी अगले वर्ष पूरी हो जाएगी। इस सूरत में जापान इस दूषित पानी को अधिक समय तक जमा करके नहीं रख सकेगा।
...तो बढ़ जाएगा खतरा
यदि जापान इस टैंक को खाली नहीं करेगा तो इसके फटने के आसार बढ़ जाएंगे जो काफी नुकसानदेह होगा। ऐसे में यदि दोबारा वर्ष 2011 की तरह कोई बड़ा भूकंप या सुनामी आती है तो भी इस टैंक के फटने का खतरा काफी अधिक होगा। सरकार का कहना है कि इसको खाली कर यहां पर एक नई इमारत का निर्माण करना भी बेहद जरूरी है। इनका इस्तेमाल रिएक्टर में मौजूद मलबे को हटाने के लिए किया जाएगा। यही वजह है कि पीएम सुगा ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि इस क्षतिग्रस्त प्लांट को बंद करने के लिए जरूरी है कि इसमें जमा पानी का निस्तारण समय रहते कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि देश के पास इस पानी को प्रशांत महासागर में छोड़ना की एकमात्र व्यवहारिक विकल्प है।
पूरी तरह पानी को साफ करना नामुमकिन
कुशिमा संयंत्र के संचालक टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी का कहना है कि इस दूषित पानी से ट्रिटियम को अलग करना संभव नहीं है। हालांकि कंपनी इस पानी को समुद्र में छोड़ने से पहले कई बार फिल्टर करेगी और इसमें काफी मात्रा में समुद्री जल का मिश्रण करेगी। इसके बाद ही ये पानी समुद्र में छोड़ा जाएगा। ऐसा करने से पानी का रेडियोएक्टिव प्रभाव कुछ कम हो जाएगा।
दक्षिण कोरिया ने बताया गैर जिम्मेदार
जापान के इस फैसले को दक्षिण कोरिया ने गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है। दक्षिण कोरिया की सरकार ने कहा है कि वो ऐसा फैसला कर लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाली चिंताओं से मुंह मोड़ रही है। साथ ही समुद्री जन-जीवन के प्रति भी बेरुखी दिखा रही है। दक्षिण कोरिया के अलावा जापान के की मछली व्यापार से जुड़े लोगों ने भी सरकार के फैसले पर चिंता जताते हुए इसका विरोध किया है।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी ने सरकार के फैसले को बताया सही
आपको बता दें कि फुकुशिमा डाइची प्लांट की स्टोरेज कैपेसिटी केवल 13.5 लाख टन के करीब है। सरकार का अनुमान है कि संयंत्र के टैंक में अब तक 12.5 लाख टन पानी स्टोरेज हो चुका है। सरकार का ये भी कहना है कि पानी की इतनी मात्रा को समुद्र में छोड़ने का काम एक दिन या एक साल में पूरा नहीं होगा बल्कि इसमें कई वर्ष लग सकते हैं। लोगों के विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी से जापान की सरकार के फैसले का स्वागत किया है।