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फुकुशिमा रेडियोएक्टिव वाटर को समुद्र में बहा सकेगा जापान, समुद्री जीवन पर मंडराया खतरा

जापान के क्षतिग्रस्त फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रेडियोएक्टिव वाटर के निस्तारण को लेकर गठित विशेषज्ञों की समिति ने कहा है कि इसे समुद्र में बहा दिया जाए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 09:33 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 09:33 PM (IST)
फुकुशिमा रेडियोएक्टिव वाटर को समुद्र में बहा सकेगा जापान, समुद्री जीवन पर मंडराया खतरा
फुकुशिमा रेडियोएक्टिव वाटर को समुद्र में बहा सकेगा जापान, समुद्री जीवन पर मंडराया खतरा

टोक्यो, एएफपी। जापान के क्षतिग्रस्त फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के रेडियोएक्टिव वाटर के निस्तारण को लेकर गठित विशेषज्ञों की समिति ने कहा है कि इसे समुद्र में बहा दिया जाए। तीन वर्ष के अध्ययन के बाद समिति ने जापान की सरकार को शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। जापान में 2011 में आई भयंकर सुनामी से फुकुशिमा परमाणु संयंत्र तबाह हो गया था, जिसके बाद टेप्को संचालित इस संयंत्र को बंद कर दिया गया था।

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उद्योग मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने अपनी सलाह में कहा है कि परमाणु संयंत्र में जमा रेडियोएक्टिव द्रव को समुद्र में बहा देने या वाष्पीकरण के जरिये हवा में उड़ा देना सबसे व्यावहारिक विकल्प है। हालांकि इस सलाह पर स्थानीय समुदाय से लेकर जानकार लोग यह आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि इससे समुद्री जीव और मछुआरों पर बुरा असर पड़ सकता है। संयंत्रों के शोधित द्रव फिलहाल हजारों टैंकों में जमा कर रखे गए हैं।

उल्‍लेखनीय है कि 11 मार्च 2011 को समुद्र के नीचे 9.0 तीव्रता के भूकंप के बाद आई सुनामी का पानी फुकुशिमा दाईची संयंत्र में घुसने की वजह से रिसाव होने लगा था। रिसाव के कारण आधिकारिक रूप से किसी की मौत नहीं हुई लेकिन सुनामी में करीब 18,500 लोग मारे गए थे। परमाणु हादसे के बाद अस्पताल में भर्ती 40 से ज्यादा मरीजों की मौत इलाका खाली कराने के बाद हुई थी।

इस मामले में फुकुशिमा संयंत्र का संचालन करने वाले तीन अधिकारियों पर बेहतर सुरक्षा कदम उठाने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, बाद में ये अधिकारी बरी हो गए थे। साल 2015 में फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट के सेंसर्स ने इलाके में बेहद उच्च क्षमता के नए रेडिएशन का पता लगाया था। ये रेडिएशन रेडियोएक्टिव पानी के साथ समुद्र में मिल गए हैं जिससे प्लांट को हटाए जाने को लेकर फिर खतरा पैदा हो गया था। रिपोर्टों के मुताबिक, रेडिएशन का लेवल आसपास की तुलना में 70 गुना ज्यादा था।  


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