बच्चे के जन्म पर जापान में प्रोत्साहन राशि, फिर भी नहीं बढ़ी जनसंख्या
जनसंख्या के लिहाज से जापान दुनिया का 10वां देश है। यहां औसतन 31 सेकंड में एक बच्चे का जन्म होता है और 23 सेकंड में एक मौत।
टोक्यो (एजेंसी)। जापान में घटती जनसंख्या सरकार के लिए चिंता की प्रमुख वजहों में से एक है। इसके लिए सरकार की ओर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन जनसंख्या नहींं बढी। साथ ही जापान की सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए बजट में दो से तीन फीसद तक का इजाफा किया है। इस बजट के तहत दो लाख करोड़ येन (करीब 1 लाख 23 हजार करोड़ रुपये) का बजट रखा गया।
अगले दस सालों में होगी एक तिहाई कमी
बता दें कि जापान में अभी प्रति महिला बच्चे पैदा करने की दर 1.44 है। सरकार इसे बढ़ाकर 1.8 करना चाहती है। 2009 में जापान की जनसंख्या करीब 12 करोड़ 85 लाख थी जो घटकर 12 करोड़ 71 लाख रह गई है। 2016 में यहां करीब नौ लाख बच्चों ने जन्म लिया, लेकिन मौतें इससे ज्यादा हुईं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 10 साल में देश की जनसंख्या एक तिहाई कम हो जाएगी।
बच्चों के लिए जापान में हैं ये सुविधाएं
जापान की सरकार जन्मदर बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है।
- बच्चों के जन्म पर सरकार की ओर से परिवार को बतौर प्रोत्साहन राशि 1.85 लाख रुपये
- बच्चे की देखभाल का हर दिन का खर्च करीब 1000 रुपये है, सरकार देती है सब्सिडी
- बच्चों की अधिकतर चीजों पर सरकार की ओर से मिलता है छूट
- सेकंडरी स्कूल में बस-वैन के खर्च के लिए हर साल 61 हजार रुपये
- बच्चों की इलाज पर खर्च का 30 फीसद देती है जापान की सरकार
- बच्चों को सुविधा देने वाले बिजनेस को सरकार बिना किराए के जमीन देती है।
जापान की जनसंख्या कम होने के पीछे मुख्य कारणों में से एक यहां के युवाओं की करियर के प्रति चिंता है। करियर बनाने के लिए लोग यहां शादी नहीं करते हैं। महिलाओं के लिए यहां करियर में अधिक अवसर है। इनका मानना है कि शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ जाएगी, इसलिए ज्यादातर युवतियां या तो शादी नहीं करना चाहतीं या देर से करती हैं। यहां पति-पत्नी की प्राथमिकता खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है।
वे शादी होने के बाद भी लंबे समय तक बच्चा नहीं चाहते। देश में 56 फीसद परिवार ऐसे हैं जहां पति-पत्नी के अलावा उनके एक या दो बच्चे हैं। नई पीढ़ी को लगता है कि बच्चे पैदा करने से महिलाओं की खूबसूरती पर असर पड़ता है। गर्भवती महिला अच्छी नहीं दिखती। यहां 65 साल से अधिक उम्र वालों की आबादी 27 फीसद है। बुजुर्गों में खुदकुशी के मामले भी बढ़े हैं। और तो और नौकरी के लिए यहां हर 11 मिनट में एक व्यक्ति देश छोड़ बाहर की ओर जा रहा है।
2030 तक ये होंगे दुनिया के सबसे बड़े शहर
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने वार्षिक दुनिया के शहरीकरण की एक रिपोर्ट जारी कि जिसमें बताया गया कि 2030 तक कौन से शहर सर्वाधिक जनसंख्या वाले होंगे।
- ग्रेटर न्यू यार्क, न्यू यार्क- 20 मिलियन
- कराची, पाकिस्तान- 20.4 मिलियन
- लागोस, नाइजीरिया- 20.6 मिलियन
- किंशाशा, कांगो- 21.9 मिलियन
- ग्रेटर साओ पाउलो- 23.8 मिलियन
- ग्रेटर मेक्सिको, मेक्सिको- 24.1 मिलियन
- ग्रेटर बीजिंग, चीन- 24.3 मिलियन
- ग्रेटर मुंबई, भारत- 24.6 मिलियन
- ग्रेटर काहिरा, मिस्र- 25.6 मिलियन
- ग्रेटर ढाका, बांग्लादेश- 28.1 मिलियन
- शंघाई, चीन- 32.9 मिलियन
- ग्रेटर टोक्यो- 36.6 मिलियन