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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरेंगे भारत-जापान, रक्षा सहयोग बढ़ाने की तैयारी

चीन के रवैये से चिंतित कई देशों ने खतरे को कम करने के लिए आपस में और अमेरिका के साथ रक्षा संबंध बढ़ाया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 08:08 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 08:08 AM (IST)
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरेंगे भारत-जापान, रक्षा सहयोग बढ़ाने की तैयारी
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरेंगे भारत-जापान, रक्षा सहयोग बढ़ाने की तैयारी

टोक्यो, एएनआइ। चीन से बढ़ते खतरों के बीच जापान ने भारत के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। सोमवार को जापानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ गोरो यूसा ने भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवाने से टेलीफोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों सेना प्रमुखों ने मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। हिंद महासागर और पश्चिमी-मध्य प्रशांत महासागर को आमतौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। इसमें दक्षिण चीन सागर भी शामिल है।

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दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावा जताने और हिंद महासागर में उसकी गतिविधि बढ़ाने को क्षेत्र के देश स्थापित नियमों को चुनौती के तौर पर देखते हैं। विएतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को खारिज करते रहे हैं। चीन ने पूर्व और दक्षिण सागर में विरोधी दावेदारों के खिलाफ आक्रामकता बढ़ाई है, जिसके परिणामस्वरूप हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में अभूतपूर्व समझौता हुआ है।

चीन के चलते करीब आ रहे हैं हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देश

निक्की एशियन रिव्यू के अनुसार, चीन के रवैये से चिंतित कई देशों ने खतरे को कम करने के लिए आपस में और अमेरिका के साथ रक्षा संबंध बढ़ाया है। हाल के वर्षो में जापान ने क्षेत्र में चीन की गतिविधियों को लेकर चिंता जताई है। वह खासकर सेनकाकू द्वीप को लेकर चिंतित है, जिसे चीन दियाओयुदाओ द्वीप बताता है और उस पर अपना अधिकार जताता है।                                                         

चीन के लिए झटका है जर्मनी की नई हिंद-प्रशांत रणनीति

उधर, जर्मनी ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोकतांत्रिक देशों के साथ भागीदारी मजबूत करने का फैसला किया है। इस क्षेत्र से बर्लिन के भी व्यापारिक, आर्थिक और सामरिक हित जुड़े हैं। जाहिर है, इससे चीन खुद को घिरता हुआ महसूस करेगा और जर्मनी से नाराज होगा, लेकिन बदलते वैश्विक परिदृश्य में चीन की परवाह किसे है। निक्केई एशियन रिव्यू के मुताबिक, मानवाधिकारों पर चीन के टै्रक रिकार्ड और एशियाई देशों पर अपनी आर्थिक निर्भरता को लेकर यूरोप की चिंताओं के मद्देनजर ही जर्मनी की नई हिंद-प्रशांत रणनीति सामने आई है।                     


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