कोरोना वायरस की आड़ में चीन बढ़ा रहा दक्षिण चीन सागर में सैन्य गतिविधि
चीन दक्षिण-चीन सागर के 90 फीसद हिस्से को अपना मानता है। यह एक ऐसा समुद्री क्षेत्र जहां प्राकृतिक तेल और गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
टोक्यो, एजेंसी । जापान में तैनात अमेरिकी बलों के कमांडर ने दक्षिण चीन सागर में चीन की नई हरकतों की पोल खोली है। उन्होंने बताया कि चीन कोरोना महामारी की आड़ में इस जल क्षेत्र में अपने दावों को विस्तार देने के साथ ही सैन्य गतिविधियों को बढ़ा रहा है। इससे क्षेत्र के दूसरे देशों में भय का माहौल है।
अमेरिकी लेफ्टिनेंट जनरल केविन श्नाइडर ने शुक्रवार को कहा कि दक्षिण चीन सागर में नौसैनिक पोतों और तटरक्षक जहाजों के साथ चीन की गतिविधि में बढ़ोतरी देखी जा रही है। चीन अपने दावे वाले जल क्षेत्र में मछली पकड़ने आने वाले जहाजों को तंग कर रहा है। उन्होंने फोन के जरिये समाचार एजेंसी रायटर को दिए इंटरव्यू में कहा, 'कोरोना संकट के दौर में हम समुद्री गतिविधि में बढ़ोतरी देख रहे हैं।'
आखिर क्यों है दक्षिण चीन सागर पर ड्रैगन की नजर
- चीन दक्षिण-चीन सागर के 90 फीसद हिस्से को अपना मानता है। यह एक ऐसा समुद्री क्षेत्र जहां प्राकृतिक तेल और गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
- चीन, ताइवान और वियतनाम ने स्प्राटल द्वीप समूह पर दावेदारी करते रहे हैं। बता दें कि स्प्राटल दक्षिण चीन सागर का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप समूह है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार इसकी परिधि में करीब 11 अरब बैरल प्राकृतिक गैस और तेल तथा मूंगे के विस्तृत भंडार मौज़ूद हैं। इसके साथ मछली व्यापार में शामिल देशों के लिए यह जलक्षेत्र महत्वपूर्ण है ही।
- अपने भौगोलिक स्थिति के कारण इसका सामरिक महत्त्व भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व कायम रखना चाहता है।
- ‘नाइन डैश लाइन’ के जरिए चीन ने दक्षिण चीन सागर की घेराबंदी कर रखी है। यह लाइन चीन ने 1947 में जापान के आत्मसमर्पण के बाद खिंची थी।