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जापानी जल क्षेत्र से नहीं हट रहा चालबाज चीन, मछली पकड़ने वाली नावों को पकड़ने का किया प्रयास

जापानी सरकार ने सख्त एतराज दर्ज कराते हुए कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार उनका 1890 से यहां पर कब्जा है। 1970 से चीन यहां पर कब्जा करना चाहता है उसे संभावित तेल क्षेत्र दिखाई दे रहे हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 03:56 PM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 03:56 PM (IST)
जापानी जल क्षेत्र से नहीं हट रहा चालबाज चीन, मछली पकड़ने वाली नावों को पकड़ने का किया प्रयास
ड्रेगन जापानी अधिकार क्षेत्र वाले सेनकाकू पर अधिकार जमाना चाहता है।

टोक्यो, एपी। दक्षिणी चीन सागर में चीनी तटरक्षक जहाज लगातार घुसपैठ बनाए हुए हैं। जापानी सरकार ने आरोप लगाया है कि चीन की निगाह यहां के संभावित तेल क्षेत्र पर है। जापान ने दावा किया है कि रविवार सुबह दो चीनी जहाजों ने उसके जलक्षेत्र में प्रवेश किया और मछली पकड़ने वाली नाव को पकड़ने का प्रयास किया। लगातार चेतावनी दिए जाने के बाद भी चीनी जहाजों की उपस्थिति बनी हुई है। ड्रेगन जापानी अधिकार क्षेत्र वाले सेनकाकू पर अधिकार जमाना चाहता है। इस क्षेत्र को डिआओयू बताते हुए अपना हक जता रहा है।

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जापानी सरकार ने सख्त एतराज दर्ज कराते हुए कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार उनका 1890 से यहां पर कब्जा है। 1970 से चीन यहां पर कब्जा करना चाहता है, उसे संभावित तेल क्षेत्र दिखाई दे रहे हैं। जापान का मानना है कि चीन की सैन्य गतिविधियां और विकास उसके लिये इस क्षेत्र में खतरा है। 1930 और 1940 के दशक में जापानी सैन्य हमले से दोनों देशों के बीच खटास बनी हुई है।

जापान और अमेरिका के बीच है रक्षा संधि

बता दें कि चीन अपने सीमा विवाद को ऐसे समय हवा दे रहा है जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी के खिलाफ महाजंग लड़ रही है। यह चीन की किसी सोची समझी रणनीति का हिस्‍सा है। चीन ने जापान के इस द्वीप पर हलचल उत्‍पन्‍न करके न केवल जापान को उकासाया है, बल्कि उसने एक तरह से अमेरिका को भी आमंत्रित किया है। दरअसल, जापान और अमेरिका के बीच एक रक्षा संधि है। इस संधि के तहत यदि जापान पर कोई विदेशी शक्ति हमला करती है, तो वाशिंगटन टोक्‍यो की रक्षा करेगा। इस संधि के तहत अमेरिका, जापान की रक्षा के लिए बाध्‍य है। यदि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है और सैन्‍य टकराव की नौबत उत्‍पन्‍न होती है तो जाहिर है कि अमेरिका को आगे आना होगा। ऐसा नहीं कि चीन इस संधि से वाकिफ नहीं है। उसने जानबूझ कर नए सीरे से इस द्वीप पर विवाद उत्‍पन्‍न करके अप्रत्‍यक्ष रूप से अमेरिका को ललकारा है।


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