भौतिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव, ब्लैक होल के चारों ओर है गैस का फव्वारा
वैज्ञानिकों ने बताया कि ब्लैक होल की ओर बढ़ती ठंडी गैस पहले उसके चारों ओर घेरा बनाती है।
टोक्यो, प्रेट्र। ब्लैक होल को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ब्लैक होल के आसपास दिखने वाला ठोस घेरा असल में गैसों का फव्वारा होता है। नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी ऑफ जापान (एनएओजे) के शोधकर्ताओं का दावा है कि अध्ययन के नतीजे भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने में मददगार होंगे।
ब्लैक होल अंतरिक्ष में पाए जाने वाले अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण और घनत्व वाले क्षेत्र होते हैं। किसी ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है कि वह अपने पास आने वाले हर कण को खींच लेता है। कोई प्रकाश या इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग भी इसे पार नहीं कर पाती। इन्हें ब्लैक होल इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने अंदर आने वाले पूरे प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं और केवल अंधेरा दिखाई देता है। इसी खूबी के कारण इनके आकार-प्रकार और संरचना के बारे में सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
कैसे बनते हैं ब्लैक होल
वैज्ञानिकों का मानना है कि बेहद विशाल तारा अपने अंतिम समय में खत्म होकर ब्लैक होल बन जाता है। ब्लैक होल बनने के बाद यह अपने आसपास के पिंडों और तारों को अपने अंदर खींचते हुए खुद को बड़ा करता जाता है। अनुमान है कि लगभग हर गैलेक्सी के केंद्र में ऐसा विशाल ब्लैक होल होता है, जो करोड़ों तारों जितना शक्तिशाली और भारी होता है। कुछ ब्लैक होल हमारे सूर्य से अरबों गुना ज्यादा वजनदार हैं। ब्लैक होल के अध्ययन के लिए उसके चारों ओर घूमने वाले तारे की मदद ली जाती है। इसी के आधार पर ब्लैक होल के आकार और द्रव्यमान का अनुमान लगता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी आकाश गंगा में सूर्य से करीब 43 लाख गुना ज्यादा द्रव्यमान वाला ब्लैक होल है।
क्या कहता है नया अध्ययन?
अब तक वैज्ञानिक मानते रहे हैं कि ब्लैक होल के चारों तरफ एक ठोस घेरा होता है। नए अध्ययन में इस दावे को खारिज किया गया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि ब्लैक होल की ओर बढ़ती ठंडी गैस पहले उसके चारों ओर घेरा बनाती है। जैसे-जैसे गैस ब्लैक होल के नजदीक पहुंचती है, उसका तापमान बढ़ता जाता है। तापमान बहुत बढ़ने पर गैस परमाणु और आयन में टूट जाती है। यही परमाणु और आयन उस घेरे पर उछलते हुए किसी फव्वारे जैसी संरचना का निर्माण करते हैं। गैसों के इसी फव्वारे को अब तक ठोस घेरा माना जाता रहा है।