Move to Jagran APP

क्षुद्रग्रह के नमूने उम्मीद से अधिक- जापान के शोधकर्ताओं का दावा, जानें- क्या कहा

विज्ञानियों की रुचि नमूने के आर्गेनिक मैटेरियल के विश्लेषण में थी। उम्मीद है कि इससे यह पता चल सकेगा कि सौर मंडल में मैटेरियल का वितरण किस प्रकार हुआ और धरती पर जीवन से उनका क्या संबंध है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 01:27 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 01:27 PM (IST)
क्षुद्रग्रह के नमूने उम्मीद से अधिक- जापान के शोधकर्ताओं का दावा, जानें- क्या कहा
क्षुद्रग्रह के नमूने उम्मीद से अधिक- जापान के शोधकर्ताओं का दावा, जानें- क्या कहा

टोक्यो, रायटर। पृथ्वी से लगभग 300 मिलियन किमी (186 मिलियन मील) क्षुद्रग्रह से एक जापानी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा एकत्र किए गए धूल के नमूने उम्मीद से बेहतर निकले, एक शोधकर्ता ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार कैप्सूल खोला तो उनके पास कहने को शब्द नहीं थे। हाल ही में जापान का हायाबुसा2 यान छह साल बाद अंतरिक्ष से पृथ्वी की ओर आया और यह रेगयु क्षुद्रग्रह के नमूने अपने साथ लाया। यह पिछले हफ्ते पृथ्वी पर पहुंचा। लेकिन शोधकर्ताओं को पता तक नहीं था कि वास्तव में उनका क्या प्राप्त हुआ है। 

loksabha election banner

जापान स्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) में हिरोताका सवादा ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार नमूना देखा था तो वह अवाक थे। उन्होंने कहा, 'हम 100 मिलीग्राम या उससे अधिक के लिए सोच कर रहे थे और हमें निश्चित रूप से वह मिला भी।' उन्होंने पत्रकारों को बताया कि ऐसा देखकर मैं शायद चिल्लाया, मुझे वास्तव में याद नहीं है। जो मिला वो वास्तक में सोचने जैसा भी नहीं था। 

इससे पहले महीने की शुरुआत में जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जक्सा) के प्रोजेक्ट मैनेजर यूइची सुडा ने कहा था हायाबूसा2 का संचालन सही है। उन्होंने कहा था कि इसके लिए हमने खुद को तैयार कर लिया है और अब यही प्रार्थना है कि जिन उपकरणों ने अभी काम करना शुरू नहीं किया है, वे सही से काम करें तथा मौसम ठीक रहे। हम काफी उत्सुक हैं।

बता दें कि विज्ञानियों की रुचि नमूने के आर्गेनिक मैटेरियल के विश्लेषण में थी। उम्मीद है कि इससे यह पता चल सकेगा कि सौर मंडल में मैटेरियल का वितरण किस प्रकार हुआ और धरती पर जीवन से उनका क्या संबंध है। 2014 में शुरू हुआ हायाबूसा2 का मिशन इस अभियान के साथ खत्म नहीं होगा, बल्कि कैप्सूल गिराने के बाद यह दूसरे दूरस्थ क्षुद्रग्रह 1998केवाई26 के लिए रवाना होगा, जिसमें एक तरफ की यात्रा में 10 साल लगेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.