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'रिंग ऑफ फायर' पर होने की वजह से इंडोनेशिया में हर साल मारे जाते हैं हजारों!

इंडोनेशिया के लोगों ने पहले भी कई बार भीषण भूकंप का सामना किया है। इसकी वजह से हर वर्ष यहां पर हजारों लोगों की जान चली जाती है। पिछले ही वर्ष यहां पर तीन से चार बार भीषण भूकंप आया था।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 01:03 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 01:03 PM (IST)
'रिंग ऑफ फायर' पर होने की वजह से इंडोनेशिया में हर साल मारे जाते हैं हजारों!
'रिंग ऑफ फायर' पर होने की वजह से इंडोनेशिया में हर साल मारे जाते हैं हजारों!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। इंडोनेशिया में मंगलवार को एक बार फिर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इस बार यह झटके ईस्ट नुसा तेंगारा प्रांत में महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.2 मापी गई। इसको लेकर लोगों के दिलों में दहशत साफतौर पर देखी जा सकती थी। इंडोनेशिया के लोगों ने पहले भी कई बार भीषण भूकंप का सामना किया है। इसकी वजह से हर वर्ष यहां पर हजारों लोगों की जान चली जाती है। पिछले ही वर्ष यहां पर तीन से चार बार भीषण भूकंप आया था जिसमें करीब 10000 लोगों की जान चली गई थी। हालांकि मंगलवार को आए भूकंप के बाद सुनामी के खतरे की आशंका नहीं जताई गई है। देश के मौसम विज्ञान और भूभौतिकी एजेंसी के मुताबिक इस भूकंप की वजह से कहीं भी किसी तरह के नुकसान होने की कोई प्रारंभिक रिपोर्ट नहीं आई है।

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एजेंसी के मुताबिक भूकंप का केंद्र प्रांत के सुंबा बरात जिले के दक्षिणपश्चिम में 103 किलोमीटर दूर और समुद्र तल के नीचे 10 किलोमीटर की गहराई में था। इस भूकंप के नौ मिनट बाद इसी प्रांत में 5.2 तीव्रता का एक और झटका महसूस किया गया। बहरहाल, भले ही यहां पर इसकी वजह से जानमाल का नुकसान हुआ हो लेकिन लोगों के दिलों से भूकंप की दहशत नहीं निकली है। वहीं इन सभी के बीच एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि आखिर इंडोनेशिया को बार-बार इस तरह के बड़े और भीषण भूकंपों का सामना क्‍यों करना पड़ता है। इसके पीछे की वजह क्‍या है। इन सवालों का जवाब हमारे पास है।

दरअसल, यहां पर आने वाले भूकंपों की सबसे बड़ी वजह है इंडोनेशिया का 'रिंग ऑफ फायर' पर होना। आपको बता दें कि 'रिंग ऑफ फायर' पर होने की वजह से इंडोनेशिया में अक्सर ही भूकंप आते रहते हैं। 'रिंग ऑफ फायर' प्रशांत महासागर की घाटी का एक मुख्य हिस्सा है, जो करीब 40,000 किलोमीटर का है। इस पर ज्वालामुखी फटते रहते हैं और उनकी वजह से भूकंप आते रहते हैं। भूकंप की वजह से ही समुद्र की लहरें अक्सर सूनामी का रूप ले लेती हैं।

यहां सबसे अधिक भूकंप आने की वजह है धरती के अंदर 'लिथोस्फेरिक प्लेट्स' का आपस में टकराना, जिसे 'प्लेट टेक्टोनिक्स' भी कहा जाता है। इंडोनेशिया रिंग ऑफ फायर के बिल्कुल बीचोबीच स्थिति है, जिसके चलते सबसे अधिक आपदाएं यहीं आती हैं और उनसे नुकसान भी काफी अधिक होता है। रिंग ऑफ फायर पर होना कितना खतरनाक है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस पर ज्वालामुखी की संख्या करीब 452 है। यह संख्या पूरी दुनिया के ज्वालामुखी का 75 फीसदी है। दुनियाभर के करीब 90 फीसदी भूकंप और करीब 81 फीसदी सबसे बड़े भूकंप रिंग ऑफ फायर पर और इसके आसपास स्थित इलाकों में ही आते हैं।

यूं तो रिंग ऑफ फायर पर इंडोनेशिया के अलावा जापान, फिलीपीन्स, चिली, मैक्सिको, अलास्का और न्यूजीलैंड जैसे देश भी आते हैं। लेकिन क्‍योंकि इंडोनेशिया रिंग ऑफ फायर के बिल्कुल बीच में स्थित है इसलिए अधिक खतरा इसको ही होता है। इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर 22 एक्टिव ज्वालामुखी हैं और इस द्वीप पर 12 करोड़ लोग रहते हैं। आपको एक बात और भी बता दें कि इंडोनेशिया में ही सबसे अधिक एक्टिव ज्वालामुखी हैं, यही वजह है कि यहां सबसे अधिक भूकंप भी आते हैं। समुद्र होने की वजह से यह भूकंप ही सूनामी को न्योता देता है।

ऐसा नहीं है कि इंडोनेशिया ने पहली बार कोई आपदा झेली हो। सितंबर 2018 में आए भूकंप और सूनामी से 1400 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। सितंबर 2018 में इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप स्थित पालु और दोंगला शहर में भूकंप के बाद सुनामी आने से 832 लोगों की मौत हो गई थी। हजारों लोग घायल भी हुए थे। कुल 6 लाख की आबादी वाले इन दोनों शहरों में आपदा के कई महीने बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पाए ।

उसी वर्ष अगस्त में इंडोनेशिया के लॉमबोक में 7.0 की तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी वजह से 460 से भी अधिक लोगों की मौत हो गई थी। 2004 में भूकंप के बाद हिंद महासागर में आई सूनामी ने करीब 2,26,000 लोगों की जान ले ली थी। इसमें करीब सवा लाख लोग सिर्फ इंडोनेशिया के ही थे। इस सूनामी के प्रकोप से दुनिया के 14 देश प्रभावित हुए थे, जिसमें से एक भारत भी था।

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