इंडोनेशिया में नमक उद्योग को बड़ा झटका, विदेशों से नमक आयात करने का बना दबाव
अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक, दक्षिण एशियाई देश इंडोनेशिया इस साल दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं आयातक देश है।
जकार्ता (रायटर्स)। इंडोनेशिया में नमक उद्योग खतरे में है। इसके अलावा चावल और बीफ की कमी से मार्केट में मंदी आ गई है। जिसका असर नमक उत्पादन पर पड़ा है। 50,000 किमी के दायरे में समुद्र से घिरा है इंडोनेशिया फिर भी हर साल नमक के आयात पर यह लाखों डॉलर खर्च करता है। समस्या यह है कि इंडोनेशिया पर्याप्त उच्च गुणवत्ता का नमक उत्पादन नहीं कर रहा है।
अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक, दक्षिण एशियाई देश इंडोनेशिया इस साल दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं आयातक देश है। दूसरी तरफ खाद्य सुरक्षा इंडोनेशिया में राजनीतिक रुप से संवेदनशील मुद्दा है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 160 मिलियन से अधिक लोग 5.50 डॉलर प्रतिदिन पर यहां अपना जीवन यापन करते हैं। इंडोनेशिया में घरेलू चावल की कीमत अंतरराष्ट्रीय कीमतों से 60 फीसदी ज्यादा है। 2014 में जोको विडोडो के राष्ट्रपति बनने के बाद ऑस्ट्रेलिया और अन्य दूसरे देशों से बीफ के आयात पर रोक लगा दी गई और घरेलु उत्पादन पर जोर दिया गया। लेकिन 2016 में कीमतें गिरने के बाद वहां की सरकार ने बीफ और बफेलो मीट को भारत जैसे देशों से फिर से आयात करना शुरु कर दिया।
इंडोनेशिया में अधिकतर नमक उत्पादन कम तकनीकी प्रणाली से होता है। वर्तमान में इसके उत्पादन में कमी का मुख्य कारण पिछले साल की भारी बारिश और ला निना तूफान है। इसके बाद इंडोनेशिया पर पिछले साल ऑस्ट्रेलिया से 75,000 टन नमक का आयात करने का दबाव बन गया, लेकिन मलेशिया से मंगाए जा रहे 15 टन नमक को रोक दिया गया था। राष्ट्रपति विडोडो ने औद्योगिक नमक आयात पर मत्स्य मंत्रालय के अधिकारियों को दूर करके और उद्योग मंत्रालय को सौंपकर गतिरोध को हल करने के लिए हस्तक्षेप किया। इस कदम ने स्थानीय नमक किसानों को नाराज किया जिन्होंने कहा कि सरकार घरेलू नमक शोधन क्षमता को विकसित करने में असफल रही है। राष्ट्रपति विडोडो ने बुधवार को कहा था, "हमें यथार्थवादी बनने की जरूरत है। अगर हम औद्योगिक नमक का आयात नहीं करते हैं, तो उद्योग बंद हो सकता है।"