पापुआ हिंसा में एक की मौत, डरे-सहमे गांववाले जंगलों में छिपने को मजबूर
पापुआ हिंसा में एक व्यक्ति की मौत। अपनी जान बचाने के लिए पास के जंगलों में छिपने को मजबूर गांववाले।
जकार्ता (एजेंसी)। इंडोनेशियाइ सैन्यकर्मियों (टीएनआइ) और पापुआ में सिनाइ ओपिटवाक चर्च के स्थानीय सशस्त्र समूह के बीच हाल में हुए संघर्ष का खामियाजा ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है। इस संघर्ष के कारण सैकड़ों गांववाले पास के जंगलों में छिपने के लिए मजबूर हैं। इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई है, जबकि तीन ग्रामवासी (पर्इशनर) घायल हो गए हैं।
बुधवार को सुबह आठ बजे टीएनआइ और राष्ट्रीय पुलिसकर्मियों द्वारा मारे गए छापे में ग्रामवासी (पर्इशनर) टिमोटियस उमाबक को गोली मार दी गई थी। बुधवार दोपहर को उसे ओपिटवाक में दफनाया गया था। सिनाई ओपिटवाक चर्च के पादसी देसीरियस आदी ने कहा टिमोटियस अन्य ग्रामवासियों के साथ चर्च के बरामदे के सामने खड़ा था, जब फायरिंग हो रही थी।
गुरुवार को फोन पर जकार्ता पोस्ट को दिए इंटरव्यू में देसीरियस ने कहा, 'वे सभी लाल और सफेद राष्ट्रीय ध्वज लहरा रहे थे और उन्होंने सेनाकर्मियों को दिखाने के लिए अपने हाथ ऊपर उठाए हुए थे, ये बताने के लिए कि वे सशस्त्र समूह से जुड़े हुए नहीं हैं। लेकिन उन्होंने गोली चला दी।' देसीरियस ने कहा, 'वे अब भी नहीं जानते कि बाकी के कुछ लोगों के साथ क्या हुआ है, क्योंकि वे सेना से छिपने की कोशिश में जुटे थे। मैं कल रात से उनमें से किसी से संपर्क नहीं कर पा रहा हूं।'
इस शूट आउट के जवाब में इंडोनेशियाई कम्यूनियम ऑफ चर्च (पीजीआइ) के सेक्रेटरी जनरल गोमर गुल्टोम ने कहा कि कम्यूनियम अपनी संवेदना व्यक्त करता है। इसके साथ ही उन्होंने पापुआ के मुद्दों को सुलझाने के लिए सैन्य बल के बजाय एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण का उपयोग करने के लिए सशस्त्र बलों से आग्रह किया है। उन्होंने पापुआ में सैन्य और सशस्त्र समूहों से आग्रह किया है कि नागरिकों पर अपनी शत्रुताएं न निकालें।