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एफएटीएफ ने म्यांमार को डाला ग्रे लिस्ट में, कहा- मनी लांड्रिंग मामलों पर रोक लगाने में कामयाबी नहीं मिली

म्यांमार ने मनी लांड्रिंग के मामलों पर रोक लगाने की भरसक कोशिश की है लेकिन प्रमुख क्षेत्रों में उसके प्रयास में कमी अब भी दिखाई देती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 01:37 AM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 01:37 AM (IST)
एफएटीएफ ने म्यांमार को डाला ग्रे लिस्ट में, कहा- मनी लांड्रिंग मामलों पर रोक लगाने में कामयाबी नहीं मिली
एफएटीएफ ने म्यांमार को डाला ग्रे लिस्ट में, कहा- मनी लांड्रिंग मामलों पर रोक लगाने में कामयाबी नहीं मिली

जकार्ता (इंडोनेशिया), रायटर। वित्तीय मामलों की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ने शुक्रवार को म्यांमार को मनी लांड्रिंग की निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में डाल दिया है। संस्थान ने म्यांमार से ड्रग उत्पादन और अपराध पर शिकंजा कसने को कहा है।

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एफएटीएफ ने म्यांमार को मनी लांड्रिंग की निगरानी सूची ग्रे लिस्ट में डाल दिया

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने म्यांमार को ग्रे लिस्ट में डालते हुए मनी लांड्रिंग के मामलों पर रोक लगाने को कहा है। इस मामले पर प्रतिक्रिया के लिए म्यांमार सरकार का कोई प्रतिनिधि शुक्रवार को उपलब्ध नहीं हो सका, लेकिन इसी सप्ताह एफएटीएफ की बैठक में शामिल होने आए उसके प्रतिनिधि केडब्ल्यू थेईन ने बुधवार को कहा था कि उनका देश मनी लांड्रिंग पर शिकंजा कसने में सक्षम है।

म्यांमार ने मनी लांड्रिंग के मामलों पर रोक लगाने की असफल कोशिश की है

एफएटीएफ का मुख्यालय पेरिस में है और यह अंतरसरकारी एजेंसी है। उसने अपने बयान में कहा कि म्यांमार ने मनी लांड्रिंग के मामलों पर रोक लगाने की भरसक कोशिश की है, लेकिन प्रमुख क्षेत्रों में उसके प्रयास में कमी अब भी दिखाई देती है।

एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को ग्रे लिस्‍ट में बरकरार रखा

पेरिस में एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) का पूर्ण सत्र की बैठक में पाकिस्तान को लेकर बड़ा फैसला सुनाया गया। इस पूरे सत्र में पाकिस्तान मुख्य एजेंडे में रहा। एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को ग्रे लिस्‍ट में बरकरार रखा है। इस दौरान आतंकी फंडिंग को लेकर पाकिस्तान को एफएटीएफ की निगरानी सूची में बनाए रखने को कहा गया। गौरतलब है कि आतंकी फंडिंग समेत काले धन का प्रवाह रोकने के लिए पूरे विश्व में एक समान नियम कानून बनाने के लिए बनाई गई संस्था एफएटीएफ की पिछले रविवार से पेरिस में बैठक चल रही है और इसका फैसला शुक्रवार को सामने आया है।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स(Financial Action Task Force) ने पाकिस्तान को सिर्फ चार महीने की मोहलत दी है, लेकिन इसके साथ कहा है कि अगर पाकिस्तान ने जून 2020 तक आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए बताए गए कदम नहीं उठाए तो उसे ब्लैकलिस्ट यानि प्रतिबंधित सूची में डाला जा सकता है। फिलहाल पाकिस्तान, एफएटीएफ की निगरानी सूची में शामिल है और एफएटीएफ ने 2018 में ही पाकिस्तान को 27 कार्यों की एक सूची सौंपी थी।

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट पर बने रहने की संभावना है, ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग वॉच डॉग द्वारा दी गई 27 सूत्रीय कार्य योजना को पूरी तरह से लागू करने के लिए पाकिस्तान को अक्टूबर तक का समय देने पर सहमति हो गई है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि इस फैसले की घोषणा शुक्रवार को एफएटीएफ की बैठक के अंत में की जा सकती है, जो वर्तमान में फ्रांस की राजधानी पेरिस में चल रही है।

तुर्की के अलावा किसी देश का समर्थन नहीं मिला

एफएटीएफ की बैठक में हिस्सा ले रहे कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को तुर्की के अलावा अन्य किसी भी देश से साफ तौर पर समर्थन नहीं मिला। यहां तक कि उसके सदाबहार दोस्त चीन ने भी इस बार उसका साथ छोड़ दिया है। मोटे तौर पर सदस्य देशों में यह आम राय थी कि आतंकी गतिविधियों तक फंड प्रवाह रोकने का खतरा पाकिस्तान में पूरी तरह से बना हुआ है। पाकिस्तान सरकार के समक्ष जो 27 काम टास्क फोर्स की तरफ से दिए गए थे उसमें से आधे पर भी ठीक तरह से काम नहीं हुआ है। ऐसे में उसे कहा गया है कि वह जून, 2020 तक बाकी सभी काम पूरा करे। अगर तय समय सीमा में ऐसा नहीं होता है तो एफएटीएफ उचित कार्रवाई करेगा।


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