UK PM Election: पीएम की कुर्सी से कितनी दूर हैं ट्रस और सुनक? कब मिलेगा ब्रिटेन को नया प्रधानमंत्री
सर्वे के इस सप्ताह की शुरुआत के आंकड़े बताते हैं कि लिज ट्रस के ऋषि सुनक पर बढ़त बनाए हुए हैं। आइए जानते हैं कि कंजर्वेटिव पार्टी में नेता चुनने की क्या है प्रक्रिया। क्या होंगे इसके परिणाम। नए पीएम के समक्ष क्या है बड़ी चुनौती।
नई दिल्ली, जेएनएन। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री बोरिस जानसन के उत्तराधिकारी को लेकर चल रही दौड़ भारतवंशी ऋषि सुनक और लिज ट्रस के बीच है। हालांकि, अब सर्वेक्षण के नतीजे बता रहे हैं कि सुनक के सपने पर पानी फिर सकता है।
दरअसल, सर्वे में विदेश मंत्री ट्रस ने ब्रिटेन के अगले पीएम बनने की दौड़ में सुनक पर बढ़त बना ली है। इनमें से एक को सितंबर की शुरुआत तक चलने वाले मतदान में पार्टी सदस्यों द्वारा अगले प्रधानमंत्री के रूप में चुना जाना है।
इसमें जानसन सरकार में वित्तमंत्री रहे सुनक की राह अब आसान लग रही है। सर्वे के इस सप्ताह की शुरुआत के आंकड़े बताते हैं कि लिज ट्रस, ऋषि सुनक पर बढ़त बनाए हुए हैं। आइए जानते हैं कि कंजर्वेटिव पार्टी में नेता चुनने की क्या है प्रक्रिया। क्या होंगे इसके परिणाम। नए पीएम के समक्ष क्या है बड़ी चुनौती।
- ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के प्रत्याशी को प्रधानमंत्री की रेस में कदम रखने के लिए कम से कम 20 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है। नामांकन के बाद पहले मतदान की वोटिंग होती है। इसमें 30 से कम वोट मिलने वाला प्रत्याशी रेस से बाहर हो जाता है।
- इसके बाद पहले मतदान में जीतने वाले प्रत्याशी दूसरी वोटिंग में हिस्सा लेते हैं। इसमें जिस उम्मीदवार को सबसे कम वोट मिलते हैं वह इस प्रतियोगिता से बाहर हो जाता है। इस प्रक्रिया में कई दौर का मतदान होता है। हर दौर में प्रत्याशियों की संख्या घटती जाती है। पार्टी के अंदर वोटों का सिलसिला तब तक जारी रहता है, जब तक केवल दो उम्मीदवार पीएम की रेस में नहीं रह जाते हैं।
- पार्टी के सदस्य पोस्टल वोट डालते हैं और नेता का चुनाव करते हैं। विजई उम्मीदवार पार्टी नेता के साथ-साथ प्रधानमंत्री का पद भी संभालता है। जाहिर है जो उम्मीदवार पार्टी के नेता के तौर पर निर्वाचित होता है वही ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री होगा।
- इस दौड़ में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद और विदेश कार्यालय मंत्री रहमान चिश्ती और परिवहन मंत्री ग्रांट शाप्स प्रारंभ में ही बाहर हो गए थे। इन प्रत्याशियों को 20 सांसदों का समर्थन नहीं मिल सका था। इसके चलते वे पहली मतदान में हिस्सा नहीं ले सके थे।
- इसके बाद हुई पहली वोटिंग में पूर्व विदेश मंत्री जेरेमी हंट और चांसलर नादिम जहावी को कम से कम टोरी सांसदों (कंजर्वेटिव सांसद) से 30 वोट नहीं मिल सके इसके चलते वे दोनों भी बाहर हो गए। वहीं दूसरी वोटिंग में अटार्नी जनरल सुएला ब्रेवरमैन को सबसे कम वोट मिले जिसके चलते वह भी बाहर हो गईं।
- 12 जुलाई को प्रधानमंत्री प्रत्याशी के लिए नामांकद बंद हो गया था। इसके लिए प्रत्येक नेता को 20 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी। 13 जुलाई को पहले दौर का मतदान हुआ था। 30 से कम मत पाने वाले प्रत्याशी इस रेस से बाहर हो गए।
- 14 जुलाई को दूसरे दौर का मतदान हुआ था। इस वोटिंग में सबसे कम वोट पाने वाले प्रत्याशी रेस से बाहर हो गए। 18 से 21 जुलाई तक दो उम्मीदवारों के रहने तक लगातार मतदान होगा। इसके बाद जुलाई और अगस्त महीने में देश भर में अंतिम दो उम्मीदवारों के लिए पार्टी के सदस्यों ने मतदान किया था।
इसके बाद 5 सितंबर को नए प्रधानमंत्री की घोषणा होगी। इसलिए अभी दोनों उम्मीदवारों को इस पद पर पहुंचने के लिए कई बाधाओं को पार करना होगा। अगर चीजें फाइनल स्टेज पर नहीं जा पाती तो 5 सितंबर की तारीख और भी बढ़ सकती है। यह अमेरिकी राष्ट्रपति की तरह फिक्स नहीं है।