बीजिंग, एएनआई। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की ताकत और सुरक्षा के प्रति जुनून की वजह से चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि उनके द्वारा शक्तियों को एकजुट करने की वजह से विरोध की कोई जगह नहीं बची है।
चीन के राष्ट्रपति के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल में प्रवेश करते हुए शी चिनफिंग ने देश की सेना, सुरक्षा और स्थिरता को मजबूती प्रदान करने की अपनी इच्छा दोहराई।
निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए शी चिनफिंग का आह्वान सभी मोर्चों पर अमेरिका के लिए एक कड़ा संदेश है। दरअसल, चीन खुद को जितना अधिक मजबूत करता है उसके संबंध अमेरिका के साथ उतने ज्यादा खराब हो जाते हैं।
ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के रिश्ते किसी से छुपे नहीं है। हाल ही में शी चिनफिंग ने जोर देते हुए कहा कि चीन ताइवान की स्वतंत्रता के लिए बाहरी हस्तक्षेप और गतिविधियों का दृढ़ता से विरोध करता है।
'कारोबारी माहौल को बढ़ावा देता रहेगा चीन'
रिपोर्ट में आगे उद्यमियों की चिंताओं को प्रमुखता से उजागर किया गया। इसी बीच ली ने कहा कि नया नेतृत्व निजी उद्यमों का समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि बीजिंग अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए बाजार उन्मुख और कानून आधारित कारोबारी माहौल को बढ़ावा देना जारी रखेगा।
ली ने आगे बताया कि सरकार उद्यमों की संपत्ति, उनके अधिकारों और हितों की रक्षा करेगी। हालांकि, रिपोर्ट में दावा किया गया कि माहौल उनके बयान के बिल्कुल विपरीत दिखाई दे रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारिकों ने तकनीकी दिग्गज अलीबाबा ग्रुप की गतिविधियों में हस्तक्षेप किया। साथ ही अधिकारियों ने हस्तक्षेप जारी रखा है। पूरे देश में सरकारी संस्थाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों ने निजी कंपनियों को हड़प लिया है। जमीनी हकीकत ली के बयान से बिल्कुल विपरीत है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में खुली नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है, जिससे बाकी दुनिया पर अच्छा संदेश जा सके।
बता दें कि चीन की नीतियों का वैश्विक असर दिखाई देता है, क्योंकि यहां बहुत बड़ा मार्केट है। ऐसे में जब तक निजी कंपनियों से दबाव नहीं हटता है तब तक अंतरराष्ट्रीय कंपनियां सुरक्षित निवेश नहीं कर सकती हैं।