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दुनिया को काफी कुछ सिखाता है वॉल्वो का दाचिंग प्लांट

प्लांट से अभी हर साल 25 हजार कारों की मैन्युफैक्चरिंग हो रही है और इसका बड़ा हिस्सा यूरोप व अमेरिका को निर्यात किया जाता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 12:19 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 12:19 AM (IST)
दुनिया को काफी कुछ सिखाता है वॉल्वो का दाचिंग प्लांट
दुनिया को काफी कुछ सिखाता है वॉल्वो का दाचिंग प्लांट

मनीष तिवारी, दाचिंग। चीन के दस सबसे आकर्षक शहरों में से एक दाचिंग में वॉल्वो के कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में बहुत कुछ देखने-समझने और दुनिया भर में इस प्रकार की इकाइयों में अपनाने लायक भी है। यहां दस दिन पहले प्लांट के मैनेजमेंट को सैकंड की सटीकता के साथ पता चल जाता है कि कोई नई कार किस समय पर अपने ऑर्डर को पूरा करने के लिए कस्टमर एक्सेप्टेंस लाइन (डिलीवरी के लिए फिनिशिंग की लाइन) को पार करेगी। इस स्वीडिश कंपनी का यह चीन में पांचवां प्लांट है, जहां मुख्य रूप से थ्री सीटर लक्जरी कार एस-90 का उत्पादन किया जा रहा है।

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25 हजार कारों की मैन्युफैक्चरिंग
प्लांट से अभी हर साल 25 हजार कारों की मैन्युफैक्चरिंग हो रही है और इसका बड़ा हिस्सा यूरोप व अमेरिका को निर्यात किया जाता है। भारत के लिए इस प्लांट से कारों की डिलीवरी की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि चीन में राइट-हैंड ड्राइविंग की कारें बनती और चलती हैं। जबकि भारत में लेफ्ट-हैंड ड्राइविंग कारें बिकती और चलती हैं।

शिपिंग के मुकाबले रेल नेटवर्क ज्यादा मुफीद 
दस एशियाई देशों के 21 पत्रकारों के लिए शुक्रवार का दिन वॉल्वो की इस यूनिट को देखने-समझने का मौका था। प्लांट के स्वीडिश जनरल मैनेजर डेविड स्टेनस्ट्रेम के सामने सबसे बड़ी समस्या कार बनाने के लिए कलपुर्जे जुटाने और तैयार कारों के निर्यात के लिए उनकी डिलीवरी की है। डेविड के मुताबिक हमें कई बार शिपिंग के मुकाबले रेल नेटवर्क ज्यादा मुफीद लगता है। उदाहरण के लिए बेल्जियम तक कार की डिलीवरी रेल के जरिये जल्दी हो जाती है।

चीन की रोजगार अपने घर में ही रखने की नीति  
क्या उनके सामने स्थानीय लोगों को नौकरी देने की मजबूरी है, इस पर डेविड कहते हैं कि हमारे लिए यही ज्यादा ठीक है। हम स्थानीय लोगों को अपनी जरूरत के मुताबिक तैयार कर लेते हैं। हमें हर चीज की ट्रेनिंग देनी होती है। यहां तक कि इसकी भी कि उन्हें कैसे बर्ताव करना है। यह भी शायद चीन की रोजगार अपने घर में ही रखने की नीति है। फरवरी में इस प्लांट के जनरल मैनेजर की जिम्मेदारी संभालने वाले डेविड ने एक बड़ा काम प्लांट में कनफेशन जैसी प्रणाली को लागू करके किया है।
डेविड के मुताबिक यहां सबसे ज्यादा जोर इस बात पर दिया जाता है कि अगर किसी कर्मचारी से कोई गलती हुई है तो वह उसे छिपाए नहीं क्योंकि इसी से हम अपनी साख कायम रख सकते हैं। हम गारंटी देते हैं कि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। एक छोटी सी गलती भी हमें बाजार से अपने प्रोडक्ट को रिकॉल करने जैसी स्थिति में ला सकती है। 83000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैले इस प्लांट से निकलने वाली हर एस-90 कार की कीमत होती है करीब 10.8 लाख युआन यानी 1.1 करोड़ रुपये।

वर्क एथिक्स महत्‍वपूर्ण 
वॉल्वो के प्रोडक्ट अच्छे-बुरे हो सकते हैं, लेकिन वर्क एथिक्स के लिहाज से इस प्लांट की कई बातें भारतीय कंपनियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। प्रोडक्टिविटी और परफेक्शन के लिए बड़ी टीमों के बजाय सात-सात लोगों के ग्रुप बनाए गए हैं। इनमें एक लीडर है। शिफ्ट सात मिनट की एक मीटिंग के साथ शुरू होती है। एक दिन का टास्क और उसे पूरा करने का तरीका डिस्प्ले बोर्ड पर लिख दिया जाता है।
शिफ्ट खत्म होने के बाद टास्क पूरा न हो पाने की दर नोट की जाती है। एक समय यह दर 40 फीसद के आसपास थी, जिसे डेविड दस प्रतिशत पर ले आए हैं। दो शिफ्टों की अदला-बदली भी दोनों टीमों के लीडर की मीटिंग के साथ होती है, यानी एक तरह से किसी रिले रेस की तरह बैटन दूसरी टीम को थमा दी जाती है।


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