चीन में उइगरों ने कट्टर मुस्लिम की छाप के डर से नहीं रखा 'रोजा'
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम जबर्दस्त खौफ में हैं। लगातार तीन साल तक पाबंदी के बाद जब इस बार रमजान में रोजा रखने की अनुमति दी गई तो किसी ने भी रोजा नहीं रखा। पढ़ें इससे संबंधित पूरी खबर।
बीजिंग, एएनआइ। चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम जबर्दस्त खौफ में हैं। लगातार तीन साल तक पाबंदी के बाद जब इस बार रमजान में रोजा रखने की अनुमति दी गई, तो किसी ने भी रोजा नहीं रखा। उन्हें डर था कि चीनी अधिकारी उनकी कट्टरपंथी मुस्लिमों के रूप में पहचान कर लेंगे। फिर उनका उत्पीड़न बढ़ जाएगा। चीन ने भी इस तरह से दो मकसद पूरे करने की कोशिश की। एक तो अंतरराष्ट्रीय आलोचना बंद हो, दूसरा कट्टरपंथी पहचान में आ जाएं। रेडियो फ्री एशिया पर शोहरत होशूर ने अपने लेख में लिखा है कि चीन ने शिनजियांग प्रांत तीन साल से रमजान में रोजा रखने पर रोक लगा दी थी।
मस्जिदों पर सख्ती के साथ ही नियंत्रण रहता था। खाने-पीने के स्थान भी खुले रखने के आदेश दिए जाते थे। पिछले साल ही 23 अप्रैल से 23 मई तक काशगर में पुलिस ने लोगों से पूछताछ करना शुरू कर दिया था कि कौैन लोग रोजे रखते हैं। इसके साथ ही रोजे खोलने के समय पुलिस बैठक या अन्य किसी कारण से बुला लेती थी, जिससे रोजे न खोले जा सकें।
इस बार रमजान में पाबंदी हटा दी गई है। सभी को रोजा रखने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन शिनजियांग की पूरी आबादी ने डर के कारण रोजे नहीं रखे। उनका मानना है कि यह चीन की साजिश है और वह इस माध्यम से कट्टरवादी मुस्लिमों की खोज कर रही है। उन पर कट्टरपंथी की छाप पड़ते ही उत्पीड़न शुरू हो जाएगा। यहां के लोगों को मालूम है कि ये सब अतंरराष्ट्रीय आलोचना से बचने के लिए किया जा रहा है।
शिनजियांग में अभी भी कैद हैं
उइगर मुस्लिम अमेरिका के मानवाधिकार परिषद ने कहा है कि कि चीन ने शिनजियांग में शिविरों से उइगर व अन्य अल्पसंख्यक मुस्लिमों को मुक्त नहीं किया है। पिछले साल सितंबर में आस्ट्रेलिया की स्ट्रेटेजिक इंस्टीट्यूट ने 380 यातना शिविरों की पहचान की थी।