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चीन के लिए फायदे का सौदा थी अफगानिस्‍तान में यूएस की मौजूदगी, वापसी से बढ़ जाएगा ड्रैगन को खतरा

पाकिस्‍तान के भारत में पूर्व राजदूत अब्‍दुल बासित का मानना है कि अफगानिस्‍तान में अमेरिका की मौजूदगी चीन के लिए सुरक्षा की दृष्टि से काफी अहम थी। लेकिन उसकी गैर मौजूदगी में चीन की परेशानी काफी बढ़ जाएगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 09:08 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 04:22 PM (IST)
चीन के लिए फायदे का सौदा थी अफगानिस्‍तान में यूएस की मौजूदगी, वापसी से बढ़ जाएगा ड्रैगन को खतरा
अफगानिस्‍तान में अमेरिका की मौजूदगी चीन के लिए राहत की बात थी।

बीजिंग (एएनआई)। पाकिस्‍तान के पूर्व राजदूत अब्‍दुल बासित ने अफगानिस्‍तान से अमेरिकी फौज की वापसी के बाद चीन पर जेहादी हमलों में तेजी आने की आशंका जताई है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्‍ट में छपे एक लेख में उन्‍होंने लिखा है कि 9/11 हमले के बाद चीन की अफगान पॉलिसी पूरी तरह से आतंकियों के खात्‍मे और इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के साथ-साथ बेल्‍ट रोड इनिशिएटिव को आगे बढ़ाने की रही है। लेकिन अब अफगानिस्‍तान से अमेरिकी फौज की वापसी के उसकी परेशानियां बढ़ सकती हैं। उन्‍होंने लिखा है कि अमेरिकी फौज की गैर-मौजूदगी में चीन में आतंकी हमले बढ़ सकते हैं।

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उन्‍होंने ये भी लिखा है कि इस क्षेत्र में अमेरिकी फौज की गैर-मौजूदगी से चीन को इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने का भी पूरा मौका मिल सकता है। इसलिए अफगानिस्‍तान में होने वाली उथल-पुथल का असर शिनजियांग प्रांत पर भी पड़ेगा। ये प्रांत अफगानिस्‍तान की सीमा से मिलता है। इतना ही नहीं अफगानिस्‍तान में जिस तरह से तालिबान एक बार फिर अपने पांव पसारने में लगा हुआ है उसके मुताबिक वो बीजिंग के लिए बड़ी पेरशानी का सबब बन जाएगा। उनका कहना है कि तालिबान अपने इलाके में अपने हिसाब से ही हुकूमत करता है, वहां पर दूसरे नियम लागू नहीं होते हैं।

इस लेख में कहा गया है कि चीन हमेशा से ही अमेरिकी नीतियों का आलोचक रहा है। वो हमेशा से ही अफगानिस्‍तान में अमेरिका द्वारा किए गए ड्रोन हमलों की निंदा करता रहा है। चीन का कहना है कि अमेरिका द्वारा किए गए इस तरह के हमले क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित करते हैं और दूसरे देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। बासित ने लिखा है कि इसके बावजूद अफगानिस्‍तान में अमेरिका और नाटो सेना की मौजूदगी चीन के लिए कई मायनों में फायदे का ही सौदा थी। अमेरिकी मौजूदगी की बदौलत ही चीन अपने बीआरआई प्रोजेक्‍ट पर बिना रुके और बिना किसी आतंकी हमले की चिंता के काम कर सका था। ये प्रोजेक्‍ट पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान प्रांत से होकर गुजरता है। अमेरिका के अफगानिस्‍तान से जाने के बाद चीन के लिए इस प्रोजेक्‍ट की सुरक्षा के बाबत भी खतरा बढ़ जाएगा।

अपने लेख में उन्‍होंने लिखा है कि अमेरिका के अफगानिस्‍तान में रहते हुए चीन को कभी भी आतंकियों से सीधेतौर पर दो चार नहीं होना पड़ा था, जो उसके लिए काफी राहत की बात थी। अमेरिका के यहां से जाने के बाद उसको ये हमले सीधे झेलने होंगे। बासित ने लिखा है कि शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहे व्‍यवहार को लेकर पहले ही चीन को आतंकी संगठन चेतावनी दे चुके हैं। यही वजह है कि अमेरिका के अफगानिस्‍तान से चले जाने के बाद यहां पर बड़े और जबरदस्‍त बदलाव देखने को मिलेंगे।

एससीएमपी की खबर के मुताबिक चीन के नागरिकों पर पहले से ही बलूच और सिंधी अलगाववादी संगठन हमला करते रहते हैं। चीन को इसका नुकसान अपने आर्थिक कॉरिडोर प्रोजेक्‍ट पर भी उठाना पड़ता है। गौरतलब है कि तहरीक ए तालिबान पाकिस्‍तान बलूचिस्‍तान के उस होटल पर हमला कर चुका है जहां पर चीन के नागरिक और उसके राजदूत रुका थे।

टीटीपी समर्थित दूसरे आतंकी गुट के नेता अबुजर अल बर्मी चीन के कड़े आलोचक हैं। वो अफगानिस्‍तान से अमेरिका के जाने के बाद चीन को एक बड़ा खतरा मानते हैं। बासित का कहना हैकि इन जेहादी संगठनों को अपने हमले को सही साबित करने के लिए एक बड़े दुश्‍मन की जरूरत भी। अमेरिका के जाने के बाद उनके हाथ ये मौका लग जाएगा और चीन उनका दुश्‍मन नंबर वन बन जाएगा। यूएन की हालिया रिपोर्ट बताती है कि तुर्किस्‍तान इस्‍लामिक पार्टी के नेता अब्‍दुल हक अल तुर्कीस्‍तानी उइगर मुस्लिमों के लिए एक ऐसा रास्‍ता तैयार करने में लगा है जिससे उइगर मुस्लिमों को सीरिया भेजा जा सके।

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