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अमेरिका ने 12 चीनी कंपनियों को किया ब्‍लैक लिस्‍ट, पाकिस्तान के परमाणु मिसाइल कार्यक्रम को भी झटका

अमेरिका ने बुधवार को सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए 12 चीनी कंपनियों को काली सूची में डाल दिया। चीनी कंपनियों के अलावा पाकिस्तान रूस जापान और सिंगापुर की कंपनियां पर भी कार्रवाई की गई है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 07:08 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 01:58 AM (IST)
अमेरिका ने 12 चीनी कंपनियों को किया ब्‍लैक लिस्‍ट, पाकिस्तान के परमाणु मिसाइल कार्यक्रम को भी झटका
अमेरिका ने सुरक्षा चिंताओं को लेकर 27 विदेशी कंपनियों को काली सूची में डाल दिया है।

वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका ने सुरक्षा चिंताओं को लेकर 27 विदेशी कंपनियों को काली सूची में डाल दिया। जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें 12 चीनी कंपनियां भी हैं। अमेरिका ने बुधवार को 27 कंपनियों को काली सूची में डाल दिया है। इनमें चीनी कंपनियों के अलावा पाकिस्तान, रूस, जापान और सिंगापुर की कंपनियां भी शामिल हैं। अमेरिका ने इस कदम के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया है।

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अमेरिकी वाणिज्य मंत्री गिना एम रैमोंडो ने कहा कि वैश्विक व्यापार राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में जोखिम उठाने के लिए नहीं बल्कि शांति, समृद्धि और अच्छे वेतन वाली नौकरियों के समर्थन के लिए है। इस कदम से अमेरिकी तकनीक की मदद से पाकिस्तान के असुरक्षित परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम पर रोक लगेगी। चीनी सेना के आधुनिकीकरण में मदद करने वाली कंपनियों को भी प्रतिबंधित किया गया है।

वहीं दूसरी ओर चीन ने अमेरिका को ताइवान के साथ नजदीकी बढ़ाने से रोका है। उसने अमेरिका को आगाह करते हुए कहा कि वह तत्काल ताइवान से घुलना-मिलना बंद करे। ध्यान रहे कि अमेरिका-ताइवान आर्थिक समृद्धि साझेदारी विमर्श इसी हफ्ते आयोजित हुआ है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा चीन अमेरिका के इस बर्ताव का कड़ा विरोध करता है। प्रवक्ता ने कहा कि चीन पूरी कड़ाई से उन सभी देशों की ताइवान के साथ किसी भी नाम या रूप में आधिकारिक वार्ता का विरोध करता है जो चीन के कूटनीतिक साझीदार हैं। झाओ ने कहा कि अमेरिका को पूरी ईमानदारी से चीन के वन-चाइना सिद्धांत का पालन करना चाहिए। चीन और अमेरिका के संयुक्त वक्तव्य में तीसरा कोई पक्ष नहीं हो सकता है।

उन्होंने कहा कि वह ताइवान प्रशासन को भी सख्त चेतावनी देते हैं कि अमेरिका से जुड़ने के किसी भी प्रयास और किसी अन्य देश से समर्थन जुटाने की कोशिश को गंभीरता से लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है लेकिन ताइवान वर्षों से खुद को चीन से अलग मानता रहा है। 


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