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अमेरिका की हिरासत में चीनी रिसर्चर टैंग जुआन, मिलिट्री यूनिफॉर्म को लेकर बनाए बहाने

चीन पर आक्रोशित अमेरिका में वीजा धोखाधड़ी व चीनी जासूसी नेटवर्क से जुड़े वहां के नागरिकों को हिरासत में लिया गया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 07:56 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 07:56 AM (IST)
अमेरिका की  हिरासत में चीनी रिसर्चर टैंग जुआन,  मिलिट्री यूनिफॉर्म को लेकर बनाए बहाने
अमेरिका की हिरासत में चीनी रिसर्चर टैंग जुआन, मिलिट्री यूनिफॉर्म को लेकर बनाए बहाने

वाशिंगटन, एएनआइ। चीन के खिलाफ एक के बाद एक सख्त कदम उठाते हुए अमेरिका ने अब वीजा धोखाधड़ी मामले में पकड़ी गई चीन से फरार रिसर्चर को बीजिंग द्वारा चलाए जा रहे जासूसी नेटवर्क का हिस्सा बताया है। दरअसल, शुक्रवार को सैन फ्रांसिस्को स्थित चीन के कंसुलेट (वाणिज्यिक दूतावास) में छिपी चीन की फरार शोधकर्ता को हिरासत में लिया गया। यह जानकारी अमेरिकी सरकार के अधिकारी ने शुक्रवार को दी। 

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अधिकारी का आरोप है कि बीजिंग कूटनीतिक मिशन के जरिए अमेरिका में जासूसी नेटवर्क चला रहा। इसके जरिए अमेरिकी यूनिवर्सिटी, रिसर्च सेंटरों व व्यापार से संबंधित सूचनाओं को चुराने की कोशिश है। अधिकारी के अनुसार, हिरासत में ली गई रिसर्चर टैंग जुआन ( Tang Juan) ने मिलिट्री वर्दी में होने के बावजूद सेना से संपर्कों की बात का खंडन किया है। उसका कहना है कि यहां फोकस बायोलजी (biology) पर था। हालांकि अभी टैंग को हिरासत में लिए जाने का कारण स्पष्ट नहीं है। उसपर जासूसी का आरोप नहीं है।

इस हफ्ते की शुरुआत में प्रॉसिक्यूटरों ने बताया था कि टैंग ने अमेरिका में प्रवेश पाने के लिए चीनी मिलिट्री से अपने संपर्कों के बारे में नहीं बताया था और गिरफ्तारी से बचने के लिए सैन फ्रांसिस्को स्थित चीन के वाणिज्यिक दूतावास में रह रही थी। 20 जून को  FBI एजेंटों से पूछताछ के दौरान टैंक ने चीनी मिलिट्री से संपर्कों को बात से इनकार कर दिया और कहा कि उसके यूनिफार्म पर प्रतीक का मतलब उसे नहीं पता। 37 वर्षीय टैंग ने कहा कि उसने मिलिट्री का यह यूनिफॉर्म FMMU (Fourth Military Medical University) के लिए पहना था क्योंकि यह मिलिट्री स्कूल था। अमेरिका ने कहा है कि न केवल ह्यूस्टन बल्कि देश भर में चीन के कंसुलेट  को बंद किया जा सकता है।   इसके अलावा एक सिंगापुर का नागरिक जून वी यो ( Jun Wei Yeo) भी चीन के जासूस होने के आरोप में दोषी करार दिया गया है।  

बता दें कि अमेरिका ने शुक्रवार तक ह्यूस्टन में मौजूद चीन के वाणिज्यिक दूतावास को बंद करने का आदेश दिया था जिसके जवाब में चीन ने जैसे को तैसा वाली नीति अपनाते हुए चेंगदू में अमेरिकी दूतावास को खाली करने को कह दिया।


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