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अमेरिका ने अलगाववादी संगठन ईटीआइएम को आतंकी संगठनों की सूची से हटाया, बिफरा चीन

चीन ने पहले आरोप लगाया है कि आतंकी संगठन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट(ईटीआइएम) पड़ोसी देश तुर्की के साथ मिलकर तुर्क सभ्यता के विकास के साथ ही इस्लामी आधार भी बढ़ाना चाहता है। ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआइएम) को अमेरिका ने आतंकी सूची से बाहर कर दिया है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 09:30 AM (IST)
अमेरिका ने अलगाववादी संगठन ईटीआइएम को आतंकी संगठनों की सूची से हटाया, बिफरा चीन
ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआइएम) को अमेरिका ने आतंकी सूची से बाहर किया।

बीजिंग, प्रेट्र। चीन के जिनझियांग प्रांत के अलगाववादी आतंकी संगठन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआइएम) को अमेरिका ने आतंकी सूची से बाहर कर दिया है। इस पर चीन ने शुक्रवार को कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का 'दोहरा चरित्र' उजागर हो गया है।बता दें कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने 5 नवंबर को ईटीआइएम से प्रतिबंध हटा लिया था।

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इस संगठन को अल-कायदा, ओसामा बिन लादेन तथा तालिबान के साथ जुड़ाव के लिए यूएन की 1267 आतंकवाद निरोधी कमेटी ने 2002 में आतंकवादी संगठन घोषित किया था। चीन का आरोप है कि उइगर मुस्लिम बहुल जिनझियांग प्रांत में सक्रिय यह संगठन प्रांत के भीतर और बाहर कई हिंसक हमलों और हत्याओं के लिए जिम्मेदार है। अमेरिका ने उइगर मुसलमानों के साथ दु‌र्व्यवहार को लेकर हाल के महीनों में चीन की कड़ी आलोचना की है।

गौरतलब है कि चीन ने पहले भी आरोप लगाया है कि आतंकी संगठन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट(ईटीआइएम) पड़ोसी देश तुर्की के साथ मिलकर तुर्क सभ्यता के विकास के साथ ही इस्लामी आधार भी बढ़ाना चाहता है।

पाकिस्तान में चीनी एजेंट, तुर्की ने उइगरों को बनाया निशाना

एक उइगर विद्वान अब्दुवेली अयूप ने खुलासा किया है कि चीनी राष्ट्रीय सुरक्षा कर्मी अक्सर पाकिस्तान, दुबई, तुर्की और काहिरा में काम करते हैं और विदेशों में रहने वाले उइगर मुसलमानों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हैं। रेडियो फ्री एशिया के साथ एक साक्षात्कार में नॉर्वे में रहने वाले एक विद्वान अयूप ने चीन के सरकारी नेटवर्क को उजागर किया है जो चीन के बाहर उइगर लोगों को निशाना बनाता है।

चीन की सरकार के लिए तुर्की में निर्वासन में रह रहे एक उइगर विद्धान ने इस बात का दावा किया कि उन्हें अपने जातीय समूह के सदस्यों पर जासूसी करने के लिए मजबूर किया गया। उसकी हत्या सोमवार को इस्तांबुल में एक बंदूकधारी ने की थी।


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