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उइगर मुस्लिमों के जबरन श्रम से बने उत्पाद नहीं आएंगे अमेरिका, प्रतिनिधि सभा ने अधिनियिम पारित कर लगाई रोक

अमेरिका और चीन के बीच टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में उइगर जबरन श्रम निवारण अधिनियम पारित हो गया है। इस कानून के जरिए अमेरिका ने उइगर मुस्लिमों के जबरन श्रम से बने उत्पाद के आयात पर रोक लगा दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 04:10 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:10 PM (IST)
उइगर मुस्लिमों के जबरन श्रम से बने उत्पाद नहीं आएंगे अमेरिका, प्रतिनिधि सभा ने अधिनियिम पारित कर लगाई रोक
अमेरिका ने चीन पर उइगर मुसलमानों को यातना शिविरों में रखने का आरोप लगाया है।

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में उइगर जबरन श्रम निवारण अधिनियम पारित हो गया है। चीन पर शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों को यातना शिविरों में रखने और जबरन माल बनवाने का आरोप है। उइगर मुस्लिमों के जबरन श्रम से बने उत्पाद के आयात पर रोक लगाने वाला अमेरिका पहला देश बन गया है। दुनियाभर के उइगर मुस्लिम संगठनों ने इसके लिए आभार जताया है।

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इस अधिनियिम के पक्ष में 406 मत पड़े। विरोध में केवल तीन मत पड़े। इस कानून के प्रभावी होने के पहले इसे सीनेट से पास कराना जरूरी है। प्रतिनिधि सभा में बहस के दौरान सांसद माइकल मैककॉल ने आरोप लगाया कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी उइगरों और अन्य अल्पसंख्यक मुस्लिमों से जबरन श्रम करा रही है। दस से तीस लाख तक की संख्या में उइगरों को यातना शिविरों में रखा गया है।

अमेरिकी सांसद ने कहा कि इन उइगर मुसलमानों के साथ क्रूर बर्ताव होता है। इनका ब्रेन वॉश किया जा रहा है, इनकी सांस्कृतिक पहचान खत्म की जा रही है। मुसलमानों की आबादी रोकने के लिए सुनियोजित रूप से बड़े पैमाने पर नसबंदी और गर्भपात किया जा रहा है। चीन ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी हैं।

सांसद केविन ब्रैडी ने कहा कि मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए चीन को जवाबदेह ठहराने का प्रयास वैश्विक स्तर पर किया जाना चाहिए। चीन की क्रूरता पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका दुनिया का नेतृत्व करे और बाकी लोकतांत्रिक देश हमारा साथ दें।

बीते दिनों अमेरिका ने चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रही बर्बरता को बताने के लिए एक वेबपेज जारी किया था। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि नए वेबपेज के जरिए उइगरों और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खिलाफ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अत्याचारों को दुनिया के सामने लाया जाएगा। अमेरिका का कहना है कि वह मानवाधिकार हनन खिलाफ वैश्विक लड़ाई की अगुआई करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।


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