1979 के बाद पहली बार अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री पहुंचे ताइवान, चीन ने विश्वासघात बताया
1979 में औपचारिक राजनयिक संबंध खत्म होने के बाद पहली बार अमेरिका के एक कैबिनेट मंत्री उच्चस्तरीय दौरे पर ताइवान पहुंचे हैं।
ताइपे, एजेंसियां। अमेरिका ने चीन को चिढ़ाने वाला एक और काम कर दिया है। 1979 में औपचारिक राजनयिक संबंध खत्म होने के बाद पहली बार अमेरिका के एक कैबिनेट मंत्री उच्चस्तरीय दौरे पर ताइवान पहुंचे हैं। चीन ने इसे विश्वासघात बताया है। रविवार को यहां पहुंचे अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार तीन दिन रुकेंगे। दोनों देश कोरोना महामारी से लड़ाई को लेकर आपसी सहयोग बढ़ाने के इच्छुक हैं। एलेक्स ताइवान के स्वास्थ्य अधिकारियों के अलावा राष्ट्रपति साई इन वेन से भी मिलेंगे।
कोरोना को लेकर ताइवान की हो रही प्रशंसा
ताइवान की सरकारी स्वास्थ्य सेवा की इस बात के लिए पीठ ठोकी जा सकती है कि उसने कोरोना संक्रमण के मामलों को 500 तक नहीं पहुंचने दिया। यहां मौतें भी केवल सात लोगों की हुईं, जबकि उसके पड़ोसी देश चीन से ही यह वायरस फैला है। अजार के ताइवान दौरे से चीन मुंह फुलाए बैठा है।
चीन ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
उसका कहना है कि अमेरिका ने ताइवान के साथ किसी तरह का आधिकारिक संपर्क नहीं रखने की अपनी प्रतिबद्धता नहीं निभाई। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। अमेरिका ने ताइवान के साथ सिर्फ अनौपचारिक संबंध कायम रखा है, लेकिन वह ताइवान का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी होने के अलावा उसे रक्षा उपकरण भी मुहैया कराता है।
चीन और अमेरिका के हैं तनावपूर्ण संबंध
ज्ञात रहे कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसके साथ किसी देश के अलग से संबंध का विरोध करता है। इस समय कोविड महामारी, अमेरिका और चीन के संबंध कारोबार, दक्षिण चीन सागर, ताइवान और हांगकांग लेकर तनावपूर्ण चल रहे हैं। चीन के विरोध की परवाह न करते हुए अमेरिका ने अपने स्वास्थ्य मंत्री ऐजर को ताइवान भेजने का फैसला किया। अमेरिका और ताइवान के बीच 1979 में औपचारिक द्विपक्षीय संबंध समाप्त होने के बाद से किसी अमेरिकी कैबिनेट मंत्री की यह पहली यात्रा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मार्च महीने में एक ऐसे कानून पर दस्तखत किए हैं, जो दुनिया में ताइवान की भूमिका बढ़ाएगा। इस पर चीन ने कड़ा विरोध जताया था। इसके बाद कोविड महामारी के दौर में ताइवान को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद दिलाने में अमेरिका ने मदद की, जबकि चीन लगातार उसका रास्ता रोक रहा था।