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दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका चीन में भिड़ंत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में दोनों में तीखी तकरार

समुद्री सुरक्षा पर आयोजित UNSC की बैठक के दौरान अमेरिका और चीन भिड़ गए। अमेरिका ने जोर देकर कहा कि वह दक्षिण चीन सागर में गैरकानूनी समुद्री दावों को आगे बढ़ाने के लिए उकसाने वाली कार्रवाई देख रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 11:19 PM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 11:37 PM (IST)
दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका चीन में भिड़ंत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में दोनों में तीखी तकरार
समुद्री सुरक्षा पर आयोजित UNSC की बैठक के दौरान अमेरिका और चीन भिड़ गए।

संयुक्त राष्ट्र, पीटीआइ। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में समुद्री सुरक्षा पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान अमेरिका और चीन भिड़ गए। अमेरिका ने जोर देकर कहा कि वह दक्षिण चीन सागर में गैरकानूनी समुद्री दावों को आगे बढ़ाने के लिए उकसाने वाली कार्रवाई देख रहा है। इस पर बीजिंग ने जवाब दिया कि अमेरिका को इस मुद्दे पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने का हक नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को समुद्री सुरक्षा पर उच्चस्तरीय वर्चुअल खुली बहस की अध्यक्षता की।

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विदेश मंत्रियों ने दिए बयान

संयुक्त राष्ट्र के 15 देशों के इस उच्चस्तरीय निकाय की अध्यक्षता इस महीने भारत कर रहा है। समुद्री सुरक्षा को लेकर जो बैठक हुई वह तीन हस्ताक्षर कार्यक्रमों में से एक है। पीएम के बाद इस बैठक की अध्यक्षता में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की। इस बैठक में सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों और संयुक्त राष्ट्र के दूतों ने अपने राष्ट्रीय बयान दिए।

अमेरिका का चीन पर निशाना

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि हम कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में समुद्री नियमों और सिद्धांतों को खतरे में देख रहे हैं। चीन पर इशारों में हमला करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में गैरकानूनी दावे को लेकर हमने समुद्र में जहाजों के बीच खतरनाक मुठभेड़ें और उत्तेजक कार्रवाइयां होते देखी हैं। उल्लेखनीय है दक्षिण चीन सागर के लगभग 13 लाख वर्ग मील इलाके को चीन अपना संप्रभु क्षेत्र होने का दावा करता है।

दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे का विरोध 

चीन इस क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य पर ठिकाने बना रहा है। हालांकि ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी इस इलाके पर अपना दावा करते हैं। अमेरिका ने उन कार्रवाइयों पर अपनी चिंता जता दी है जिनसे चीन दूसरे देशों को उनके समुद्री संसाधनों का कानूनी रूप से लाभ उठाने से डराने-धमकाने का काम करता है। ब्लिंकन ने कहा कि हम, दक्षिण चीन सागर के अन्य दावेदारों सहित अन्य देश दक्षिण चीन सागर में इस तरह के व्यवहार और गैरकानूनी दावे का विरोध करते हैं।

नियमों की रक्षा होनी चाहिए

ब्लिंकन ने कहा कि कुछ लोग दावा कर सकते हैं कि दक्षिण चीन सागर विवाद से अमेरिका या किसी और ऐसे देश का लेना-देना नहीं है जो यहां के द्वीपों और जल क्षेत्र के दावेदार नहीं हैं। लेकिन यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि सदस्य देश उन नियमों की रक्षा करें जिनका पालन करने के लिए हम सभी सहमत हैं और समुद्री विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करें।

चीन बोला- सुरक्षा परिषद में बहस ठीक नहीं 

ब्लिंकन ने कहा दक्षिण चीन सागर या किसी भी महासागर में संघर्ष का सुरक्षा और व्यापार पर गंभीर वैश्विक असर होगा। इससे भी अधिक, जब किसी देश को नियमों की अनदेखी के लिए सजा नहीं मिलती तो वह हर जगह अस्थिरता पैदा करता है। उन्होंने समुद्री सुरक्षा पर बैठक आयोजित करने के लिए पीएम मोदी का आभार भी जताया। अमेरिका की टिप्पणी के बाद चीन के उप स्थायी प्रतिनिधि दाई बिंग ने कहा कि सुरक्षा परिषद, दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सही जगह नहीं है।

चीन ने दी यह दलील 

दाई बिंग ने कहा कि अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर मुद्दे का उल्लेख किया है और चीन इस कृत्य का कड़ा विरोध करता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चीन और आसियान देशों के संयुक्त प्रयासों से, दक्षिण चीन सागर में स्थिति आम तौर पर स्थिर बनी हुई है। सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता की छूट है। चीनी राजनयिक ने कहा कि बीजिंग दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दृढ़ और सक्षम है।

अमेरिका को बताया सबसे बड़ा खतरा  

चीन ने कहा कि अमेरिका खुद दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने के योग्य नहीं है। अमेरिका बिना किसी बात के परेशानी पैदा कर रहा है, दक्षिण चीन सागर में मनमाने ढंग से जंगी जहाजों और विमानों को भेजकर क्षेत्रीय देशों को मोर्चेबंदी के लिए उकसा रहा है। यह देश अपने आप में दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रचार पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। 


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