चीन ने गुप्त शिविरों में कैद कर रखे हैं 10 लाख उइगर मुस्लिम
चीन की राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों को दिमाग में भरने के लिए 2 मिलियन लोगों को तथाकथित शिक्षा शिविरों में फिर से जाने के मजबूर किया गया है।
बर्लिन, एपी। आतंकवाद के मसले पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का लगातार बचाव करने वाले चीन का दोहरा चरित्र संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टो से उजागर हो गया है। इन रिपोर्टो के मुताबिक, चीन ने 10 लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिमों को कथित तौर पर कट्टरवाद विरोधी गुप्त शिविरों में कैद करके रखा है और 20 लाख अन्य को विचारधारा बदलने का पाठ पढ़ाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की नस्ली भेदभाव उन्मूलन समिति ने उइगर मुस्लिमों के साथ किए जा रहे इस व्यवहार पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। समिति ने इस संबंध में चीन के हालिया वर्षो के रिकॉर्ड का अध्ययन किया है। मालूम हो कि उइगर मुस्लिम चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में बहुसंख्यक हैं और चीन ने इस प्रांत को स्वायत्त घोषित कर रखा है।
संयुक्त राष्ट्र की इस समिति ने शुक्रवार से जिनेवा में चीन पर रिपोर्ट की समीक्षा शुरू की। इस दौरान चीन के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत यू जियानहुआ ने वहां आर्थिक प्रगति और ऊंचे उठते जीवनस्तर का उल्लेख किया। लेकिन समिति की उपाध्यक्ष गे मैक्डोगॉल ने कहा, 'हमें मिली विभिन्न और विश्वसनीय रिपोर्टो से समिति के सदस्य बेहद चिंतित हैं। सामाजिक स्थिरता और धार्मिक कट्टरता से निपटने के नाम पर (चीन ने) उइगर स्वायत्त क्षेत्र को कुछ ऐसा बना दिया है जो गोपनीयता के आवरण में ढका बहुत बड़ा नजरबंदी शिविर जैसा है।'
निगरानी समूहों का भी कहना है कि उइगरों को चौकसी और सुरक्षा अभियानों के बहाने निशाना बनाया गया है। हजारों उइगर मुस्लिमों को हिरासत में रखा गया है और उन्हें विचारधारा बदलने वाले केंद्रों में भेज दिया गया है। मैक्डोगॉल ने आगे कहा, 'अनुमान है कि 10 लाख से ज्यादा लोगों को तथाकथित कट्टरता विरोधी शिविरों में कैद करके रखा गया है और अन्य 20 लाख को राजनीतिक और सांस्कृतिक विचारधारा बदलने वाले तथाकथित पुनर्शिक्षण शिविरों में जबरन भेजा गया है।'
उन्होंने कहा कि सिर्फ अपनी धार्मिक पहचान की वजह से उइगरों के साथ चीन में दुश्मनों की तरह बर्ताव किया जा रहा है। विदेशों से शिनजियांग प्रांत में लौटने वाले सैकड़ों उइगर छात्र गायब हो गए हैं। उनमें से कई हिरासत में हैं और कई हिरासत में मर भी चुके हैं। इस दौरान मैक्डोगॉल ने इन सूचनाओं के स्त्रोत उजागर नहीं किए।
जबरन लगवाए जाते हैं कम्युनिस्ट पार्टी के नारे
एमनेस्टी और मानवाधिकार वाच समेत कई मानवधिकार संगठनों का दावा है कि इन शिविरों में जबरन चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की वफादारी की कसम दिलवाई जाती है। विश्व उइगर कांग्रेस का कहना है कि शिविरों में बिना आरोप बंदी बनाकर रखा जाता है और जबरन कम्युनिस्ट पार्टी के नारे लगाने को कहा जाता है।
चीन सोमवार को देगा आरोपों पर जवाब
समिति इस मामले पर सोमवार को भी सुनवाई जारी रखेगी। संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत ने बताया कि शुक्रवार को उठाए गए मुख्य सवाल पर चीन सोमवार को अपना जवाब देगा।