भारत ने पहली बार हांगकांग के मुद्दे पर चीन को घेरा, नया कानून के पारित होने पर दो सौ से अधिक प्रदर्शनकारी गिरफ्तार
चीन के खिलाफ अपनी आक्रामक कूटनीति की धार को और तेज करते हुए भारत ने बुधवार को पहली बार हांगकांग के हालात पर बयान दिया।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चीन के खिलाफ अपनी आक्रामक कूटनीति की धार को और तेज करते हुए भारत ने बुधवार को पहली बार हांगकांग के हालात पर बयान दिया। जेनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद के 44वें सत्र में हिस्सा लेते हुए भारत ने कहा है कि हांगकांग में बड़ी संख्या में रहने वाले भारतीयों की स्थिति को देखते हुए वह वहां के हालात पर नजर रखे हुए है।
भारत के राजदूत राजीव कुमार चंदर ने उक्त बयान देते हुए यह उम्मीद जताई कि सभी संबंधित पक्ष गंभीरता से व सही तरीके से उचित कदम उठाएंगे। भारत ने यह बयान चीन की संसद में हांगकांग को लेकर उस विधेयक के पारित होने के एक दिन बाद दिया है, जिस पर ब्रिटेन समेत तमाम यूरोपीय देश व अमेरिका चिंता जता रहे हैं। कानून पारित होने के बाद पहले दिन वहां दो सौ से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
ड्रैगन के साथ अब किसी भी तरह की रियायत के मूड में नहीं भारत
इस विधेयक के पारित होने के बाद माना जा रहा है कि हांगकांग अब चीन के दूसरे राज्यों की तरह ही होगा और वहां के नागरिकों को जो लोकतांत्रिक अधिकार मिले हुए हैं, वे समाप्त कर दिए जाएंगे। भारत ने अपने बयान से यह जता दिया है कि वह भी द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर अब किसी तरह के लिहाज के मूड में नहीं है। हांगकांग चीन के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है। संभवत: यही वजह है कि भारत अब तक तनाव होने के बावजूद इस पर टिप्पणी करने से परहेज करता रहा है। लेकिन लद्दाख की गलवन घाटी में 15 जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए सैन्य झड़प के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए हैं।
हांगकांग में रहते हैं 50 हजार से अधिक भारतीय
हांगकांग में पिछले एक वर्ष से हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। वहां लगातार हिंसक झड़पें हो रही हैं। वहां तकरीबन 50 हजार भारतीय रहते हैं। अगर चीन वहां के नागरिकों की नागरिकता को लेकर कोई फैसला करता है तो वहां रहने वाले भारतीयों पर भी इसका असर पड़ेगा।
अभी तक भारत हांगकांग पर इसलिए भी चुप्पी साधे रहता था कि कहीं चीन कश्मीर मुद्दे को हवा न दे दे। लेकिन अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद चीन जिस तरह से कश्मीर पर भी बयानबाजी कर रहा है, उसे देखते हुए भारत का यह भय भी खत्म हो गया है। अगर देखा जाए तो जब से पूर्वी लद्दाख में चीन ने अतिक्रमण किया है, उसके बाद भारत लगातार अपने तरकश के तमाम कूटनीतिक तीर आजमा रहा है।
सोमवार को चीन के 59 मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाया गया। मंगलवार को यह संकेत दिया गया कि भारत चीन की 5जी कंपनियों को भी बाहर करने पर विचार कर रहा है। वहीं, बुधवार को एक बड़े कैबिनेट मंत्री ने हाईवे परियोजनाओं से चीन की कंपनियों को बाहर रखने का एलान कर दिया।