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चीनी हैकर्स का कारनामा, अब वैक्सीन की खोज करने वाले देशों के कम्प्यूटर हैक कर चुरा रहे डेटा

अमेरिका ने दो चीनी हैकर्स पकड़े हैं जो कोरोनावायरस वैक्सीन के टीके की खोज में लगे देशों के कम्प्यूटर को हैक करके उनसे डेटा चुराने का प्रयास कर रहे हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 01:24 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 05:36 PM (IST)
चीनी हैकर्स का कारनामा, अब वैक्सीन की खोज करने वाले देशों के कम्प्यूटर हैक कर चुरा रहे डेटा
चीनी हैकर्स का कारनामा, अब वैक्सीन की खोज करने वाले देशों के कम्प्यूटर हैक कर चुरा रहे डेटा

वाशिंगटन, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। पूरी दुनिया में कोरोनावायरस फैलाने का आरोप झेल रहे चीन के हैकर्स अब इसकी वैक्सीन बनाने में जुटी कंपनियों के डेटा चुराने के लिए उनके कम्प्यूटर की हैकिंग कर रहे हैं। अमेरिका के न्याय विभाग ने मंगलवार को ऐसे चीनी हैकर्स की एक जोड़ी की पहचान की, फिर चीनी हैकर्स पर ये आरोप लगाया है।

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विभाग का आरोप है कि हैकिंग करने वाली जोड़ी ने देश की खुफिया सेवा की ओर से रक्षा ठेकेदारों, हाई-एंड मैन्युफैक्चरिंग सहित दुनिया भर के उद्योगों के डेटा चुराने की कोशिश की है। इन दोनों की पहचान फिलहाल ली जियाओयू और डोंग जियाजी के तौर पर की गई है। इन दोनों ने पहले भी चीन के सीक्रेट एजेंट के तौर पर काम किया है। इनको इस तरह से कम्प्यूटर के डेटा हैक करने में विशेषज्ञता हासिल हैं इस वजह से ये दोनों इन दिनों कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने वाले देशों के कम्प्यूटर के डेटा हैक कर रहे हैं जिससे अपने देश को वैक्सीन बनाने में मदद कर सकें। 

अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों के खिलाफ इस माह की शुरूआत में ही एक केस भी दर्ज किया गया था। माना जा रहा है कि उन चीनी हैकर्स ने हाल के महीनों में कोरोना वैक्सीन को लेकर काम कर रही कंपनियों के कंप्यूटर नेटवर्क में सेंधमारी की कोशिश की। कोरोना वैक्सीन के लिए कंपनियों के नाम सार्वजनिक हैं। 

अमेरिका ने आरोप लगाया है कि चीनी हैकर्स कोरोना वायरस से संबंधित रिसर्च को निशाना बना रहे हैं। अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने मंगलवार दो चीनी हैकर्स पर दुनिया भर की कंपनियों से करोड़ों डॉलर के व्यापार से जुड़े सीक्रेट्स को चुराने का आरोप लगाया। अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने ये भी कहा कि चीनी हैकरों ने उन कंपनियों को भी टारगेट किया, जो कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन तैयार करने में जुटी हुई हैं। 

दरअसल चीन से कोरोनावायरस का फैलाव हुआ मगर अब तक वो उसकी वैक्सीन नहीं बना पाया है, ऐसे में चीन ये सोच रहा है कि अगर किसी दूसरे देश ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली तो उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी बेइज्जती होगी, इस वजह से वो ये चाहता है कि वो दूसरे देशों के कम्प्युटरों में मौजूद डेटा को चुराकर अपने वैज्ञानिकों को मुहैया करा दे जिससे उनके यहां इसकी वैक्सीन पहले बन जाएं। न्याय विभाग का कहना है कि चीन की इस तरह की गुप्त गतिविधि संभावित रूप से कोरोनावायरस के रिसर्च को भी प्रभावित करेगी।

यह आरोप संयुक्त राज्य अमेरिका और संबद्ध देशों द्वारा रूस के टीके के विकास पर जानकारी चुराने के प्रयास के आरोपों के बाद भी आए थे। चीनी दूतावास ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। अमेरिका की ओर से इन दोनों आरोपियों को सौंपने की मांग की गई मगर इन दोनों को अमेरिका सौंपे जाने की उम्मीद नहीं है क्योंकि चीन का संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं है।

इन संदिग्धों ने दुनिया भर के सैकड़ों कंप्यूटर नेटवर्क को निशाना बनाया और अज्ञात कंपनियों के कारण करोड़ों डॉलर की बौद्धिक संपदा का नुकसान हुआ। उदाहरण के लिए, हैकर्स ने संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान में काम करने वाली एक कंपनी से गैस टरबाइन के लिए कैलिफोर्निया की एक रक्षा फर्म और इंजीनियरिंग ड्राइंग से रेडियो और लेजर तकनीक पर शोध किया।

न्याय विभाग और एफबीआई के अधिकारियों ने कहा कि हैकर्स अमेरिकी बायोटेक फर्मों से कोरोनोवायरस वैक्सीन के बारे में जानकारी और शोध कर रहे थे। दर्ज किए गए केस में यह नहीं कहा गया था कि वे कोरोनावायरस वैक्सीन पर जानकारी या अनुसंधान को सफलतापूर्वक चुरा पाए या नहीं। 

इस जोड़ी ने मैसाचुसेट्स बायोटेक फर्म को हैक करने का प्रयास किया, जो सीओवीआईडी ​​-19 वैक्सीन पर शोध कर रही थी। कुछ दिनों बाद 1 फरवरी को इस जोड़ी ने कैलिफोर्निया के एक बायोटेक फर्म के नेटवर्क पर कमजोरियों को खोजने की कोशिश की। इस फर्म ने घोषणा की थी कि यह COVID-19 एंटीवायरल दवाओं पर शोध कर रहा है। फिर मई में, Li ने COVID टेस्टिंग किट विकसित करने वाली एक कैलिफ़ोर्निया डायग्नोस्टिक फर्म के कम्प्यूटर को हैक करके इसी तरह के डेटा चुराने की कोशिश की।  


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