पूर्वी लद्दाख में तनाव बरकारर, दो पक्षों के मध्य खूनी संघर्ष ने मध्य युग की याद दिलाई
ब्रिटेन के एक विशेषज्ञ ने इसे संघर्ष को 1967 के बाद से इसे एक बड़ा खूनी संघर्ष बताया। उन्होंने कहा यह संघर्ष बिना किसी परिणाम के समाप्त हो गया।
हांगकांग, एजेंसी। पूर्वी लद्दाख के गलवन घाटी में 15 जून को भारत और चीन के मध्य हुए खूनी संघर्ष ने मध्य युग की यादें ताजा कर दी। इसके साथ इस संघर्ष ने दुनिया के अन्य हिस्सों में चीनी व्यवहार से पर्दा उठा दिया है। दोनों देशों के बीच 50 साल बाद इस तरह का खूनी संघर्ष देखा गया। दोनों सेनाओं के बीच हुए संघर्ष में कई सैनिकों की नीचे बह रही नदी में डूबने और खड़ी चट्टानों के नीचे गिरने से मौत हो गई।
चीन ने संघर्ष के लिए भारतीय सैनिकों को उकसाया
ब्रिटेन के एक विशेषज्ञ ने इसे संघर्ष को 1967 के बाद से इसे एक बड़ा खूनी संघर्ष बताया। उन्होंने कहा यह संघर्ष बिना किसी परिणाम के समाप्त हो गया। यूके स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) में साउथ एशिया के रिसर्च फेलो एंटोनी लेवेसीस ने दोनों सेनाओ के बीच हुए संघर्ष पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष सहित जो सबूत उभर कर सामने आए हैं उससे यह प्रमाणित हो गया है कि चीन ने इस संघर्ष के लिए भारतीय सैनिकों को उकसाया है। चीन ने एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया।
खूनी संघर्ष के पहले चीन ने तैयार की रणनीति
उन्होंने कहा चीन इस संघर्ष के लिए पूरी तरह से तैयार था। यह उनकी सोची समझी रणनीति का हिस्सा था। विशेषज्ञ ने कहा कि 9 से 16 जून तक गलवन घाटी में चीन के 200 वाहनों की तैनाती की थी। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर मंशा सही थी तो इतने वाहन गलवन घाटी में क्यों थे। चीन ने गलवन घाटी में सैनिकों की एक मजबूत स्थिति के निर्माण के बाद इस संघर्ष के लिए भारतीय सैनिकों को प्रेरित किया। लेवेसीस ने कहा बीजिंग इस संघर्ष के लिए अकेले जिम्मेदार है।
सीमा विवाद सैन्य कार्रवाई की जरूरत क्यों
लंदन स्थित लेवेस्क ने कहा कि लद्दाख के कई स्थानों पर इन तनावों को भड़काने के लिए चीन ने इस विशेष मोड़ को क्यों चुना है, इस बारे में कई अटकलें हैं। उन्होंने कहा कि जब 2013 में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर नवीनतम समझौता हो गया था तब दोनों देशों के बीच एक नए संघर्ष की क्या जरूरत थी। जब सारे प्रावधान सात साल पहले स्पष्ट हो गए थे तब यह स्थिति क्यों बनाई गई। इसके अलावा जब सीमा विवाद वार्ता के जरिए होती आ रही है तब सैन्य संघर्ष का क्या औचित्य है। इससे यह बात सिद्ध होती है कि यह संघर्ष जानबूझ किया गया। चीन ने
लॉकडाउन के बाद का समय चुना
लेवेसीज इस बात को मानते हैं कि दोनों देशों के बीच तनाव के कई कारक हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन के स्टैंड का आकलन कर पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि चीन कोरोना महामारी के बाद अन्य देशों की कमजोरियों का लाभ उठाने के मकसद से उसने इस समय को चुना। उदाहरण के तौर पर कोरोना महामारी के बाद भारत 90 दिनों के लॉकडाउन में था। इस समय देश की गति स्थिर हो चुकी है। देश महामारी से जूझ रहा है।