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पाकिस्‍तान में चीनी नौसैनिक अड्डे की खबर पर बीजिंग का 'बाहरी दुनिया' को दो टूक जवाब

इस्लामाबाद के अधिकारियों ने इस बात से इनकार कर दिया है कि चीनी नौसैनिक बेस पर ग्‍वादर के नजदीक काम चल रहा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 09 Jan 2018 03:38 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jan 2018 03:38 PM (IST)
पाकिस्‍तान में चीनी नौसैनिक अड्डे की खबर पर बीजिंग का 'बाहरी दुनिया' को दो टूक जवाब
पाकिस्‍तान में चीनी नौसैनिक अड्डे की खबर पर बीजिंग का 'बाहरी दुनिया' को दो टूक जवाब

बीजिंग, आइएएनएस। चीन, पाकिस्‍तान में ग्‍वादर के नजदीक अपना एक 'नौसैनिक सैन्य बेस' बनाने की तैयारी कर रहा है। ऐसी खबरों को बाजार गर्म है। लेकिन चीन का कहना है कि 'बाहरी दुनिया' को अरब सागर में पाकिस्‍तान के ग्‍वादर के निकट एक नौसैनिक बेस बनाने की योजना के अनुमान लगाने पर लगाम लगानी चाहिए। चीन 50 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीइसी) के तहत पाकिस्‍तान के ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है। आर्थिक कॉरिडोर चीनी शहर कशगर से शुरू होता है।

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एक बीजिंग स्थित सैन्य विश्लेषक झोउ चेनमिंग ने मीडिया रिपोर्ट में कहा था कि चीन को अपने युद्धपोतों के लिए ग्वादर में एक और नौसैनिक सैन्य बेस स्थापित करने की जरूरत है, क्योंकि ग्वादर अब एक नागरिक बंदरगाह है। बताया जा रहा है कि सीपीईसी चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्‍योंकि यह वन बेल्‍ट वन रोड का हिस्‍सा है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि सीपीईसी वन बेल्ट वन रोड परियोजना का हिस्‍सा है। सीपीईसी परियोजना के लिए चीन और पाकिस्तान मिलकर प्रयास कर रहे हैं, क्‍योंकि ये दोनों देशों के सामान्य हित में है। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि बाहरी दुनिया को इस संबंध में बहुत अधिक अनुमान लगाने की जरूरत है।'

एक पाकिस्तानी समाचार आउटलेट के मुताबिक, इस्लामाबाद के अधिकारियों ने इस बात से इनकार कर दिया है कि चीनी नौसैनिक बेस पर ग्‍वादर के नजदीक काम चल रहा है।

बता दें कि ग्वादर रणनीतिक रूप से अरब सागर में स्थित काफी महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। यह ईरान के चबाहर बंदरगाह से सिर्फ 70 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे भारत द्वारा विकसित किया जा रहा है। चीन ने पिछले साल अफ्रीका के हॉर्न में जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य बेस खोला था।

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