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तियानमेन चौक नरसंहारः जब चीनी सेना ने 10,000 प्रदर्शनकारियों को टैंकों से कुचल डाला था

आज यानी 4 जून को तियानमेन चौक नरसंहार की 30वीं बरसी है। ऐसे समय जब दुनिया भर में मानवाधिकारों की चर्चा हो रही है इस नरसंहार के तीस साल बाद भी चीन में कुछ भी बदलता नहीं दिख रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 10:56 AM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 03:26 PM (IST)
तियानमेन चौक नरसंहारः जब चीनी सेना ने 10,000 प्रदर्शनकारियों को टैंकों से कुचल डाला था
तियानमेन चौक नरसंहारः जब चीनी सेना ने 10,000 प्रदर्शनकारियों को टैंकों से कुचल डाला था

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। आज यानी 4 जून को तियानमेन चौक नरसंहार की 30वीं (30th Tiananmen anniversary) बरसी है। ऐसे समय जब दुनिया भर में मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्‍यों को लेकर बहस और पहलकदमियों का दौर जारी है, लोकतंत्र के समर्थन में हुए प्रदर्शन में बेगुनाह लोगों के कत्‍लेआम की बरसी पर चीन में चुप्‍पी है। अमेरिका ने इसे 1989 का साहसी आंदोलन बताते हुए इसकी सराहना की है जबकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने यह सुनिश्चित किया है कि इस नरसंहार की वर्षगांठ महज अतीत का हिस्सा ही बनी रहे। आइये जानते हैं क्‍या हुआ था 04 जून, 1989 को जिसके कारण चीन की सरकार इतना एहतियात बरत रही है...

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निर्दोष लोगों पर चीनी सेना ने दौड़ाए थे टैंक
04 जून, 1989 को मानव सभ्‍यता के इतिहास में काले दिन के तौर पर जाना जाएगा। इस दिन कम्युनिस्ट पार्टी के उदारवादी नेता हू याओबैंग की हत्‍या या मौत के विरोध में हजारों छात्र बीजिंग के तियानमेन चौक (Tiananmen Square) पर प्रदर्शन कर रहे थे। कहते हैं कि तीन और चार जून की दरम्यानी रात को लोकतंत्र के समर्थकों पर चीन की कम्‍यूनिष्‍ट सरकार ने ऐसा कहर बरपाया जिसने इतिहास में काले अध्‍याय के तौर पर जगह बनाई। चीनी सेना ने निर्दोष लोगों पर फायरिंग की और उन पर टैंक दौड़ाए। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक इसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे जबकि एक ब्रिटिश खुफिया राजनयिक दस्तावेज में कहा गया है कि इस नरसंहार में 10 हजार लोगों की मौत हुई थी।

...तीस साल बाद भी चीन में कुछ नहीं बदला
इस नरसंहार के तीस साल बाद भी चीन में कुछ भी बदलता नहीं दिख रहा है। आज 30वीं बरसी के मद्देनजर बीजिंग में सुरक्षा चाकचौबंद है। बीजिंग के तियानमेन चौक (Tiananmen Square) पर सुरक्षाकर्मियों की भारी तैनाती है। सेना भी मुस्‍तैद है ताकि तियानमेन चौक नरसंहार को लेकर किसी भी प्रकार का मेमोरियल न हो। सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों के बाद पुलिसकर्मी हर टूरिस्‍ट के कार्ड चेक कर रहे हैं। देश भर में इंटरनेट पर सेंसरशिप लागू है। विदेशी पत्रकारों को चौक पर जाने की इजाजत नहीं है। साथ ही पुलिस तस्वीरें लेने से मना कर रही है। 

प्रदर्शनकारियों पर बर्बर कार्रवाई को जायज ठहराता रहा है चीन
दुनिया भर में भले ही इस नरसंहार की आलोचना होती हो लेकिन चीन की सरकार और प्रशासन 04 जून, 1989 को निर्दोश लोगों पर की गई सैन्‍य कार्रवाई को सही ठहराता है। चीन के रक्षा मंत्री भी साल 1989 में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को तत्‍कालीन सरकार की सही नीति करार चुके हैं। जनरल वेई फेंगहे ने सिंगापुर में क्षेत्रीय सुरक्षा के एक फोरम में इस घटना को राजनीतिक अस्थिरता करार दिया था। उन्‍होंने कहा था कि तत्‍कालीन सरकार ने इस सियासी संकट को रोकने के लिए जो कदम उठाए थे वो सही थे। जबकि अमेरिका समेत पूरी दुनिया में चीनी सेना की इस बर्बर कार्रवाई की निंदा की जाती है।

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