Move to Jagran APP

China '17+1' Initiative: रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष से चीन को लगा झटका, मध्य और पूर्व यूरोपीय देशों में प्रभावित हुआ BRI प्रोजेक्ट

चीन की बेल्ट एंड रोड पहल को रूस-यूक्रेन संघर्ष से तगड़ा झटका लगा है। मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों में इसकी 17+1 पहल बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसे देखते हुए चीन ने 10 देशों में अपने प्रतिनिधिमंडल भेजे लेकिन इन्हें कोई महत्व नहीं दिया गया।

By Achyut KumarEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 07:58 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 07:58 AM (IST)
China '17+1' Initiative: रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष से चीन को लगा झटका, मध्य और पूर्व यूरोपीय देशों में प्रभावित हुआ BRI प्रोजेक्ट
चीन की 17+1 पहल को लगा झटका (प्रतीकात्मक तस्वीर)

बीजिंग, एएनआइ। रूस और यूक्रेन के बीच तीन महीने से अधिक समय से जारी संघर्ष से चीन की '17+1 पहल' बुरी तरह प्रभावित हुई है। क्योंकि अधिकांश मध्य और पूर्वी यूरोपीय (CEE) देश चीन सहित विदेशी शक्तियों से सावधान रहने लगे हैं। चीन और मध्य व पूर्वी यूरोपीय (सीईई) देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने के लिए चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा 2012 में '17+1 पहल' का गठन किया गया था। वैलेरियो फैब्री (Valerio Fabbri) थिंक-टैंक रशियन इंटरनेशनल अफेयर्स काउंसिल(Think-Tank Russian International Affairs Council) में लिखते हैं, 'CEE सरकार के रवैये में बेचैनी को महसूस करते हुए चीन ने रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia Ukraine Conflict) के बारे में गलतफहमी को खत्म करने और बेल्ट-रोड पहल में उनकी रुचि को फिर से जगाने के लिए चर्चा करने के लिए अपने दो प्रतिनिधिमंडलों को 10 देशों में भेजा है।

loksabha election banner

पोलैंड ने चीनी प्रतिनिधिमंडल को दिखाया आइना

हालांकि, कई CEE देशों ने इन प्रतिनिधिमंडलों को ज्यादा महत्व नहीं दिया और इसके बजाय निचले अधिकारियों को चीनी प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने के लिए कहा। सबसे निराशाजनक प्रतिक्रिया पोलैंड से आई, जहां चीनी प्रतिनिधिमंडल पोलिश विदेश मंत्रालय (Polish Foreign Ministry) के अधिकारियों से भी नहीं मिल सका। हालांकि चीन ने यूरोपीय क्षेत्र में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए '17+1 पहल' की, लेकिन निवेश के वादों को वास्तविक निवेश में बदलने में उसकी विफलता ने समूह की प्रगति को प्रभावित किया है।

  • इस वर्ष '17+1 पहल' की स्थापना की दसवीं वर्षगांठ है, लेकिन अधिकांश CEE देशों ने ऐतिहासिक वर्ष मनाने के लिए उत्साह नहीं दिखाया है।
  • इसके अलावा, बीजिंग को एक भी CEE देश नहीं मिला जो वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए तैयार हो।
  • CEE देशों में चीनी निवेश केवल कुछ देशों जैसे हंगरी (Hungary), चेक गणराज्य (Czech Republic) और पोलैंड (Poland) तक सीमित है।
  • 2020 में CEE देशों में चीन का निवेश यूरोप में कुल चीनी निवेश का 3 प्रतिशत था।
  • चीनी कंपनियों ने भी इन देशों में निवेश करने में ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है क्योंकि वे कम लाभदायक हैं।
  • कुछ प्रमुख परियोजनाएं जैसे रोमानिया का कर्नावोडा परमाणु ऊर्जा संयंत्र या बुडापेस्ट (हंगरी)-बेलग्रेड (सर्बिया) रेलवे परियोजना, जो CEE क्षेत्र में चीन की छवि को बेहतर बना सकती थी, या तो छोड़ दी गई या देरी का सामना करना पड़ा।

चीन और CEE देशों में इस तरह बिगड़े संबंध

चीन और CEE देशों के बीच संबंध तब और बिगड़ गए जब बीजिंग ने ताइवान के साथ संबंध बनाने के लिए उन्हें निशाना बनाना शुरू कर दिया। चीन ने चेक सीनेट के अध्यक्ष मिलोस विस्त्रसिल (Czech Senate President Milos Vystrcil) को 2020 में ताइवान की अपनी आधिकारिक यात्रा के लिए चेतावनी दी और कहा कि अगर वह ताइपे जाते हैं तो उन्हें 'भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।' 

  • लिथुआनिया (Lithuania) को 2021 में विलनियस में सामान्य शीर्षक 'ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यालय' का उपयोग करने के बजाय 'ताइवान प्रतिनिधि कार्यालय' खोलने के अपने निर्णय के लिए आर्थिक प्रतिबंधों द्वारा लक्षित किया गया था।
  • फैब्री के अनुसार, '17 + 1 पहल' में सबसे निचला बिंदु तब आया जब लिथुआनिया ने मई 2021 में समूह छोड़ दिया, जब इसकी संसद ने अपने मुस्लिम उइघुर अल्पसंख्यक के साथ चीन के व्यवहार की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया और इसे 'मानवता के खिलाफ अपराध' और 'नरसंहार' के रूप में वर्णित किया।'

रूस-यूक्रेन संघर्ष से प्रभावित हुआ यूरोपीय क्षेत्र

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के साथ पूरे यूरोपीय क्षेत्र की गतिशीलता बदल गई है। रूस के खिलाफ यूक्रेन को समर्थन प्रदान करके अमेरिका ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है और CEE देश भी कीव के आसपास के क्षेत्र में स्थित हैं, जिसने वाशिंगटन को एक प्रमुख सुरक्षा गारंटर बना दिया। अमेरिका, चीन को एक रणनीतिक और आर्थिक खतरे के रूप में उजागर करता रहा है, जिससे यूरोपीय एकता के टूटने की संभावना है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.