चीन की चांदी लेकिन पाकिस्तान के लिए परेशानी, जानें क्यों और कैसे
रिपोर्ट में चेताया गया है कि यह गलियारा चीन के हितों को पाकिस्तान के हितों से ऊपर रखता है। लिहाजा इससे चीन को फायदा होगा, लेकिन पाकिस्तान के कई प्रांतों को इससे काफी नुकसान होगा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चीन की जिस परियोजना के दम पर पाकिस्तान खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध करने का ख्वाब देख रहा है, वही उसकी आर्थिक हैसियत को डांवाडोल कर सकती है। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप नामक अंतरराष्ट्रीय संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक 57 अरब डॉलर की लागत वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से पाकिस्तान में नए विवादों का जन्म होगा। रिपोर्ट में चेताया गया है कि यह गलियारा चीन के हितों को पाकिस्तान के हितों से ऊपर रखता है। लिहाजा इससे चीन को फायदा होगा, लेकिन पाकिस्तान के कई प्रांतों को इससे काफी नुकसान होगा।
प्रांतों के बीच कलह के आसार
पाकिस्तान के बलूचिस्तान और सिंध प्रांत का मानना है कि इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले रास्तों, इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक प्रोजेक्ट का अधिकतर फायदा पंजाब प्रांत को मिलेगा, जो कि पहले से ही देश का सबसे धनी और राजनीतिक रूप से ताकतवर प्रांत है। इसके बावजूद पंजाब में भी लोग अपनी खेतिहर जमीनों के अधिग्रहण के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं। सिंध में कोयला आधारित बिजली संयंत्र लगाने से न सिर्फ यहां पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि लोगों को भी अपना घर छोड़कर जाना पड़ रहा है। ग्वादर बंदरगाह से कम मुनाफे की आशंका के चलते पहले से अशांत बलूचिस्तान में और अशांति फैल सकती है।
जनता में आक्रोश
इस गलियारे के बारे में पाकिस्तानी सरकार ने लोगों की राय लेना जरूरी नहीं समझा। लिहाजा पूरे देश में लोग इसका विरोध कर रहे हैं। गिलगिट- बाल्टिस्तान में जो लोग आर्थिक गलियारे के विरोध में हैं, सरकार और सेना उनका उत्पीड़न करती है। इस इलाके में जगह-जगह पुलिस नाके लगाए गए हैं। इस परियोजना के खिलाफ किसी विरोध प्रदर्शन को सेना शुरू होने से पहले ही रोक देती है। इसके चलते लोगों में गुस्से की भावना है।
चर्चा जरूरी
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का भी यही कहना है कि यह गलियारा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मददगार हो सकता है, लेकिन अगर इस पर संसद और विधानमंडल में चर्चा नहीं की गई और लोगों की सलाह नहीं मानी गई तो इससे पाकिस्तानी सरकार और लोगों के बीच तनाव बढ़ सकता है। लिहाजा जुलाई में जो भी सरकार सत्ता में आएगी, उसे इस गलियारे से जुड़े सभी पहलुओं पर खुलकर बात करनी जरूरी है।
चीन के हवाले गवादर पोर्ट
पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी भाग में बलूचिस्तान प्रान्त में अरब सागर के किनारे पर स्थित एक पोर्ट सिटी है। यह गवादर ज़िले का केंद्र है। वर्ष 2011 में इसे बलूचिस्तान की शीतकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया था। गवादर शहर एक 60 किमी चौड़ी तटवर्ती पट्टी पर स्थित है। जिसे अक्सर मकरान कहा जाता है। ईरान तथा फ़ारस की खाड़ी के देशों के बहुत पास होने की वजह से इस शहर का सैन्य और राजनैतिक महत्व है।
पाकिस्तान प्रयास कर रहा है कि इस बंदरगाह के जरिये न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन, अफग़ानिस्तान व मध्य एशिया के देशों का भी आयात-निर्यात को बढ़ावा मिले। पाकिस्तान ने इस बंदरगाह को विकसित करने के लिए चीन को अधिकृत कर दिया था। गवादर पोर्ट के विकसित होने के बाद चीन की भी सीधी पहुंच मध्य एशिया और यूरोप के देशों तक हो जाएगी। गवादर पोर्ट में चीन के स्वामित्व की खबर के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि असमान्य हालात में चीन और पाकिस्तान भारत को घेरने में इुस्तेमाल कर सकते हैं।
गवादर के विकास के मतलब
चीन ने पाकिस्तान को समझाया कि गवादर बंदरगाह पूरा होने पर पाकिस्तान, सिंगापुर और हांगकांग से ज्यादा समृद्ध हो जाएगा। यह केवल उसकी आंखों में धूल झोंकने के बराबर था। चीन वास्तव में पाक के जरिये कई पड़ोसी देशों को साधना चाहता है। सच यह है कि चीन ने पाकिस्तान में जो आर्थिक गलियारा बनाया है जिसका मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर में प्रवेश पाना है और सच कहा जाए तो यह केवल भारत को घेरने की चीन की साजिश है जिसमें पाकिस्तान उसका अनजाने ही सहयोगी बन गया है।
पाकिस्तान यह कहता है कि चीन ने जो आर्थिक गलियारा बनाया है उससे उसकी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो जाएगी। चीन ने पाकिस्तान को यह समझाया है कि यद्यपि अमेरिका पाकिस्तान को बीच बीच में आर्थिक सहायता दे रहा है। परन्तु विश्व की बदलती राजनीति में अमेरिका अब भारत के बहुत निकट आ गया है। यह पाकिस्तान के लिए खतरे की बात है। लिहाजा चीन और पाकिस्तान को मिलकर भारत और अमेरिका के गठजोड़ को प्रभावहीन बनाना चाहिए। पाकिस्तान चीन के झांसे में आ गया है और चीन जैसा कहता है वैसा ही वह कर रहा है। आर्थिक गलियारे के बहाने चीन पाकिस्तान के बाजार में बुरी तरह छा गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पाकिस्तान में जितने भी आर्थिक परियोजनाएं चल रही हैं उनमें सारा सामान चीन से आता है। चीन एक सूई तक भी पाकिस्तान से नहीं खरीद रहा है।
चीन की चाल
पाकिस्तान में भरी-भरकम निवेश करके चीन ग्वादर बंदरगाह तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है। ऐसा करने से अरब सागर तक का सीधा रास्ता उसके लिए खुल जाएगा। इसमें पाकिस्तान का फायदा कम और उसके संसाधनों का गैर-वाजिब उपयोग ज्यादा किया जाएगा।