खराब गुणवत्ता से कम हुआ चीनी हथियारों पर भरोसा, चीन के लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े से हटा रहे कई देश
खराब गुणवत्ता और ठीक से काम नहीं करने के चलते पिछले कुछ समय में चीनी हथियारों के प्रति अन्य देशों का भरोसा कम हुआ है। ढाका स्थित लेंस एशिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के एफ-22पी फ्रिगेट में बार-बार समस्याएं आ रही हैं। जेएफ-17 लड़ाकू विमान के ग्राहकों को तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

चीन के लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े से हटा रहे कई देश (फोटो- जेएफ 17, रॉयटर)
आइएएनएस, ढाका। खराब गुणवत्ता और ठीक से काम नहीं करने के चलते पिछले कुछ समय में चीनी हथियारों के प्रति अन्य देशों का भरोसा कम हुआ है।
ढाका स्थित लेंस एशिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के एफ-22पी फ्रिगेट में बार-बार समस्याएं आ रही हैं। जेएफ-17 लड़ाकू विमान के ग्राहकों को तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
चीन को यहां आ रही परेशानी
हाल ही में रेगिस्तानी वातावरण में चीनी स्काईशील्ड लेजर प्रणाली के संचालन में कठिनाई आई। इन कारणों से चीन का रक्षा निर्यात महत्वपूर्ण वैश्विक बाजारों में प्रवेश नहीं कर पा रहा है।
चीन दुनिया प्रमुख सैन्य शक्ति
हालांकि, चीन दुनिया की एक प्रमुख सैन्य शक्ति बना हुआ है। यह अमेरिका, रूस और फ्रांस के बाद चौथा सबसे बड़ा रक्षा निर्यातक है। फिर भी इसके रक्षा उत्पादों की विश्वसनीयता, गुणवत्ता और स्थिरता के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं।
पाकिस्तान को सौंपे लड़ाकू विमान में आई खराबी
रिपोर्ट में पाकिस्तान को सौंपे गए शुरुआती एफ-22पी फ्रिगेट में बार-बार सेंसर और रडार की खराबी और इंजन संबंधी समस्याओं का उल्लेख है। इसमें बताया गया है कि फ्रिगेट में रडार के खराब प्रदर्शन से लेकर इंजन के ज्यादा गर्म होने और क्रैंकशाफ्ट/लुब्रिकेशन संबंधी समस्याएं पाई गईं, जिससे परिचालन क्षमता प्रभावित हुई। पाकिस्तानी नौसेना के अधिकारियों और रक्षा विश्लेषकों द्वारा सार्वजनिक रूप से इन मुद्दों को उठाया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, चीनी कंपनी ने स्वीकार किया है कि दोषपूर्ण गिंबल असेंबली मोटर के कारण यह खराबी आई। इस मोटर की अभी तक मरम्मत नहीं की गई है या इन्हें नहीं बदला गया है। इससे जहाज के संचालन पर खतरा मंडरा रहा है।
इस स्थिति ने पाकिस्तानी नौसेना को दोषपूर्ण उपकरणों और चीनी निर्माताओं की अपर्याप्त सेवा के कारण कमजोर परिचालन क्षमताओं के साथ चार फ्रिगेट्स का संचालन करने के लिए मजबूर कर दिया है। परिणामस्वरूप जिस उद्देश्य के लिए इन महंगे जहाजों को खरीदा गया था, वह खतरे में पड़ गया है।
कई देशों ने चीनी विमानों को हटाया
सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, म्यांमार, नाइजीरिया और जेएफ-17 खरीदने वाले अन्य देशों के समाचार माध्यमों ने भी विमानों के जमीन पर उतरने, मिशन-कंप्यूटर की खराबी और एयरफ्रेम संबंधी समस्याओं का जिक्र किया है। इसके चलते कई देशों ने चीनी उपकरणों को संचालन के लिए अनुपयुक्त घोषित करके अपने बेड़े को खत्म दिया।

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