चीन में प्रदूषण के चलते जहरीली हुई हवा, सूने पड़े स्कूल के मैदान और हाईवे, जानें पूरा मामला
खास बात यह है कि चीन में यह प्रदूषण तब बढ़ा है जब चीन ने इस हफ्ते की शुरुआत में 10 लाख टन कोयला उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है। हालांकि उसने दुनिया से वादा किया है कि वो 2060 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य पूरा कर लेगा।
बीजिंग, एजेंसी। काप-26 जलवायु शिखर सम्मेलन में नदारद रहा चीन अब जबरदस्त प्रदूषण की चपेट में है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वायु प्रदूषण के चलते शुक्रवार को चीन के कई हिस्सों में विजिबिलिटी महज 200 मीटर थी। इतना ही नहीं चीन के कई इलाकों में विजिबिलिटी का हाल और भी खराब है। इसके चलते कई प्रमुख मार्गों को बंद कर दिया गया। स्कूलों में बच्चों को खेल के मैदानों में जाने की इजाजत नहीं दी गई। हालांकि, इस प्रदूषण को लेकर चीन सरकार की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। खास बात यह है कि चीन में यह प्रदूषण तब बढ़ा है जब चीन ने इस हफ्ते की शुरुआत में 10 लाख टन कोयला उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है। हालांकि, उसने दुनिया से वादा किया है कि वो 2060 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य पूरा कर लेगा।
चीन सबसे ज्यादा करता है ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन
गौरतलब है कि चीन दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करता है। इसके चलते चीन में जलवायु परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है। ड्रैगन को इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ग्रीन हाउस गैसों के सबसे ज्यादा उत्सर्जन के बावजूद चीन सरकार इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश में जुटी है। उसने एक बयान में कहा कि खराब मौसम की वजह से यह हालात पैदा हुए हैं। खास बात यह है कि फरवरी में यहां विंटर ओलपिक्स होने हैं और इसके पहले यहां प्रदूषण के हालात परेशान करने वाले हैं। अमेरिकी दूतावास ने बीजिंग के वातावरण को खतरनाक बताया है।
चीन में प्रदूषण और स्माग की वजह कोयला
चीन में प्रदूषण और स्माग की वजह कोयला माना जा रहा है। पिछले महीने यह खबर आई थी कि चीन अंधेरे में डूबने वाला है। ऐसी रिपोर्ट्स आई कि चीन में बिजली की कमी हो रही है। चीन इस सदी के सबसे बड़े बिजली संकट का सामना कर रहा है। इसके बाद कोयले के जरिए इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन को काफी तेज किया गया। इसकी वजह से प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ा। चीन में कोयला उत्पादन बढ़ने से दिक्कतें कुछ ज्यादा ही हो गईं। चीन पर कोयले से बिजली उत्पादन कम करने को लेकर पूरी दुनिया का दबाव है, लेकिन उसने अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए। हालात ये हैं कि पिछले दिनों ग्लास्गो में जो जलवायु परिवर्तन सम्मेलन हुआ, उसमें चीन के राष्ट्रपति शी चिंनफिंग शामिल ही नहीं हुए थे। उन्हें वीडियो लिंक से जुड़ना था, लेकिन वो इसके जरिए भी शामिल नहीं हुए। रस्म अदायगी के तौर पर उन्होंने सिर्फ एक बयान जारी कर दिया।