Move to Jagran APP

पाकिस्तान ने ग्वादर पोर्ट की घेराबंदी का कार्य रोका,चीन के निवेश पर मंडराया असुरक्षा का खतरा

पाकिस्तानी सेना मकरान प्रशासन ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी और बलूचिस्तान सरकार ने मिलकर बंदरगाह के तीन ओर 24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की दीवार बनाने की योजना बनाई थी। यह दीवार चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के अंतर्गत जारी परियोजना की सुरक्षा को बेहतर करने के लिए बनाई जानी थी।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 09:21 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 09:21 AM (IST)
पाकिस्तान ने ग्वादर पोर्ट की घेराबंदी का कार्य रोका,चीन के निवेश पर मंडराया असुरक्षा का खतरा
पाकिस्तान ने ग्वादर पोर्ट की घेराबंदी का कार्य रोका

बीजिंग, एएनआइ। पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चहारदीवारी से घेरने की योजना पर बलूचिस्तान सरकार ने कार्य फिलहाल रोक दिया है। इस योजना का स्थानीय लोग विरोध कर रहे थे। पाकिस्तानी सेना, मकरान प्रशासन, ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी और बलूचिस्तान सरकार ने मिलकर बंदरगाह के तीन ओर 24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की दीवार बनाने की योजना बनाई थी। यह दीवार चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के अंतर्गत जारी परियोजना की सुरक्षा को बेहतर करने के लिए बनाई जानी थी।

loksabha election banner

ग्वादर बंदरगाह का संचालन का जिम्मा चीन को सौंपा जा चुका है। सीपीईसी के तहत चीन से जुड़ा यह बंदरगाह मध्य एशिया और यूरोप के देशों को माल भेज रहा है। बलोच अलगाववादियों के आंदोलन चलते सीपीईसी पर शुरू से खतरा मंडरा रहा है। बलूचिस्तान के गृह मंत्री जिया लांगो ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ग्वादर बंदरगाह के इर्द-गिर्द दीवार बनाने के कार्य को रोके जाने का एलान किया। उन्होंने कहा ऐसा स्थानीय लोगों की आलोचना के बाद किया गया। ग्वादर के बारे में निर्णय लेने से स्थानीय लोगों को वंचित नहीं रखा जाएगा और स्थानीय लोगों को इस मुद्दे पर विश्वास में लेने के बाद फेंसिंग के बारे में निर्णय लिया जाएगा। एशिया टाइम्स के अनुसार ग्वादर-लासबेला से नेशनल असेंबली के एक सदस्य मोहम्मद असलम भूतानी न फैसले पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि सुरक्षा के नाम पर ग्वादर में फेंसिंग लगाने से स्थानीय आबादी के मन में संदेह पैदा होगा।

साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट अखबार के अनुसार पाकिस्तान के इस फैसले से चीन को झटका लगा है। उसे लग रहा है कि उसके निवेश की परियोजना को सुरक्षा देने में पाकिस्तान कोताही बरत रहा है। इससे सीपीईसी में उसका बड़ा निवेश खतरे में पड़ सकता है। उनमें कार्य करने वाले चीनी अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए खतरा बढ़ सकता है। उल्लेखनीय है कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे ज्यादा अशांत इलाका है। वहां पर अतिवादी अक्सर हमले करते रहते हैं और वहां की आबादी भी सीपीईसी की विरोधी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.